Indore Police: मुकेश मंगल, इंदौर (नईदुनिया)। चैन से सोना है तो जाग जाइए...। जमाने भर में भले ही यह डायलाग सनसनी फैलाता रहता हो, लेकिन इंदौर में आकर ये डायलाग जरा दम तोड़ देता है। दरअसल, इंदौर अपनी तरह के अन्य शहरों के मुकाबले काफी सुरक्षित है। यहां आधी रात में भी सड़क पर लड़कियां बेखौफ टहलती रहती हैं। दिन में भद्र समाज आनंदित होकर अपना बिजनस, नौकरी या कामकाज करता है और रात में निश्चिंत होकर सोता है। ऐसा इसलिए संभव हुआ है क्योंकि मध्यभारत के सबसे बड़े शहर इंदौर की सुरक्षा का चक्रव्यूह बहुत चौकस है। प्रदेश सरकार यहां अपने सबसे बेस्ट आफिसर्स को तैनात करती है और उन्हें अपराध की कमर तोड़ने की छूट देती है। आइए आज जानते हैं उन अफसरों के बारे में, जिन्होंने इंदौर के अपराध पर कस रखी है अपनी नकेल और अपराधियों के मंसूबों को पहना रखी हैं हथकड़ियां।

इंदौर के सोशल सिस्टम में पुलिस वह महत्वपूर्ण अंग है, जिसके कारण समाज का हर वर्ग सुरक्षित महसूस करता है। आदतन अपराधियों की छुट-पुट घटनाएं छोड़ दें तो बाकी 99 प्रतिशत इंदौर चैन की नींद इसीलिए सो पाता है क्योंकि यहां शार्प, सजग, चौकन्ने और ब्रिलियंट पुलिस अफसर तैनात हैं। कुछ मायनों में ये प्रदेश के बेस्ट काप्स हैं इसलिए इंदौर में उपजने वाले नई किस्म के अपराधियों को भी घुटनों पर ले आते हैं। पुलिस की सख्त छवि से इतर इंदौर पुलिस का एक चेहरा ऐसा भी है जो कर्तव्य, साहस, सहायता और संवेदनशीलता का परिचायक है। यहां पुलिस में जान दांव पर लगाकर लोगों की सुरक्षा करने की भावना भी है। बीते एक दशक में इंदौर ने पुलिसिंग को लेकर कई बदलाव देखें हैं। एक दौर था जब पूरे जिले में केवल एक पुलिस अधीक्षक की व्यवस्था थी, लेकिन अब पुलिस कमिश्नर जैसी आधुनिक और प्रभावी प्रणाली है। हाल ही में शासन ने पुलिस कमिश्नर बदले हैं।

तेजी से हाईटेक हो रहा इंदौर

हरिनारायणाचारी मिश्र इंदौर से भोपाल गए हैं तो मकरंद देऊस्कर भोपाल से इंदौर आए हैं। तेजी से हाइटेक होते इंदौर में सायबर एक्सपर्ट पुलिस अफसर तो ऐसे तेजतर्रार हैं कि इन्होंने इंटरनेशनल ठगों की गैंग तक पकड़ी हैं। सात राज्यों तक फैला ड्रग माफिया का नेटवर्क हो या अवैध हथियारों की सप्लाय, अपनी पुलिस ने माफिया को नेस्तनाबूद करने में अहम भूमिका निभाई है। आमजन से तालमेल कर तीसरी आंख का बड़ा नेटवर्क तैयार करने में भी पुलिस का विशेष योगदान रहा है।

राजेश हिंगणकर - एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अतिरिक्त पुलिस आयुक्त

हिंगणकर प्रदेश के उन गिने-चुने अफसरों में हैं, जिन्हें विशेष परिस्थितियों में याद किया जाता है। इनकी गिनती एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में होती है। वर्ष 2017-18 में सतना में दुर्दांत डकैत ठोकिया का आतंक था। ठोकिया का भाई ललित दिनदहाड़े अपहरण और फिरौती वसूलता था। सरकार ने तब हिंगणकर को याद किया और सतना भेजकर टारगेट दिया कि ठोकिया का खात्मा करके ही लौटना। हिंगणकर ने सतना एसपी कार्यालय में आमद दी और सीधे चित्रकूट के जंगलों में चले गए। 25 दिनों तक जंगलों में रहे और अंतत: ठोकिया को ठोक कर यानी उसका एनकाउंटर करके ही लौटे।

निमिष अग्रवाल - 250 हथियार व इंटरनेशनल फर्जी कॉल सेंटर पकड़े

क्राइम ब्रांच के डीसीपी निमिष अग्रवाल एक साल में ढाई सौ से ज्यादा अवैध हथियार पकड़ चुके हैं। 2010 बैच के आइपीएस अग्रवाल को जासूसी में महारथ हािसल है। इनके दिमाग में क्या चल रहा है, यह भांपना मुश्किल है। अग्रवाल ने पदस्थाना के वक्त ही जान लिया था कि इंदौर में व्हाइट कालर क्राइम ज्यादा है। पहला फोकस साइबर फ्राड और फर्जी कंपनियों पर रखा व फर्जी इंटरनेशनल काल सेंटर के सरगनाओं को पकड़ा, जिनके तार अमेरिका, चीन, हांगकांग से जुड़े थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआइ को इंदौर आना पड़ा। अग्रवाल ने अवैध हथियार कारोबार की कमर तोड़ दी है।

रजत सकलेचा - तगड़ा है खुफिया तंत्र, पत्ता खड़का कि इन्हें पता चला

आयुक्त प्रणाली में इंटेलिजेंस विंग बनी तो 2016 बैच के आइपीएस रजत सकलेचा को कमान सौंपी गई। सकलेचा ने ऐसे साफ्टवेयर और टूल्स जुटाए जो भ्रामक और भड़काऊ संदेशों की निगरानी करते हैं। इससे शहर में भड़काऊ संदेश का पत्ता खड़का कि सकलेचा को पता चल जाता है। पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वालों की जांच के लिए एसटीएफ बनाई। 25-30 वर्ष उम्र और 5 फीट 11 इंच के तंदुरुस्त जवानों का दस्ता बनाया, जो दंगा, विवाद की स्थिति में तुरंत पहुंचता है। होटल, मंिदर, माल का सुरक्षा आिडट कर सीसीटीवी लगवाए। िसमी, पीएफआइ का डेटा एनआइए को मुहैया करवाया।

जितेंद्र सिंह - इंटरनेट की स्पीड से अपराधियों तक पहुंच जाते हैं

साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह की गिनती मंजे हुए अफसर हैं। जालसाज जिस गति से ठगी करते हैं, िसंह उसी गति से उन्हें दबोच लेते हैं। सीएसपी व एएसपी (क्राइम) रह चुके सिंह को आर्थिक अपराध ब्यूरो से साइबर सेल भेजा गया था। इन्होंने श्रीलंका, मंगोलिया, नाइजीरिया के अंतराष्ट्रीय जालसाजों को पकड़ा है। फर्जी काल डिटेल, निजी डेटा खरीदी-बिक्री और डिजिटल सिग्नेचर फर्जी गैंग को पकड़ने में भी भूमिका रही। िसंह ने नागौरी और बाहेती जैसे बहुचर्चित अपहरण कांड की गुत्थी भी सुलझाई।

गुरुप्रसाद पाराशर - आठ राज्यों में फैले ड्रग नेटवर्क को ध्वस्त किया

गुरुप्रसाद पाराशर (एडीसीपी अपराध) ड्रग माफिया की कमर तोड़ने में माहिर हैं। अक्टूबर 2020 में अपराध शाखा में पदस्थ हुए और जनवरी 2021 में 70 करोड़ रुपये कीमत की ड्रग एमडीएमए के साथ वेदप्रकाश व्यास और उसके साथियों को पकड़ा। यह अंतरराष्ट्रीय गैंग था जिसका संपर्क दिल्ली, मुंबई, गुजरात, राजस्थान सहित आठ राज्यों में था। पाराशर ने 48 आरोपितों को पकड़ा और गोपनीय रिपोर्ट बनाई, जिसमें गुजरात के रास्ते ड्रग्स की खेप मुंबई के बड़े तस्करों का खुलासा किया।

राजेश रघुवंशी - मानव तस्करी और नकली रेमडेसिविर पकड़े

जोन-3 के एडिशनल डीसीपी राजेश रघुवंशी को जमीनी पुलिसिंग में महारत हािसल है। ये उन अपराधों की गुत्थी सुलझाने में एक्सपर्ट हैं, जो समाज को कलंकित करते हैं। एडिशनल एसपी रहते हुए पूर्वी क्षेत्र में पांच हजार बांग्लादेशी लड़कियां बेचने वाले गिराेह को बेनकाब किया। कोरोना काल में लोगों की जान से खेल रहे नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। गुप्त सूचना दी तो गुजरात पुलिस ने उस फार्म हाउस को घेरा जहां नकली इंजेक्शन का कारखाना था।

सोनाक्षी सक्सेना - पब और बार की नकेल कस रहीं लेडी अफसर

कई बार ऐसा हुआ कि इंदौर के पब-बार में की उद्दंडता ने शहर का नाम खराब किया। प्रोबेशनर आइपीएस सोनाक्षी सक्सेना कम समय में ही सारे पब और बार को लाइन पर ले आई हैं। विजयनगर एसीपी बनते ही उन्होंने पब वालों की बैठक बुलाई और कड़े लहजे में कह दिया कि तय समय के बाद पब खुले मिले तो केस भी बनेगा, लाइसेंस भी निरस्त होगा। सोनाक्षी ने बीट प्रभारियों को भी टाइट कर रखा है। अब रात 11 बजते ही पुलिस पबों पर पहुंचती है और खुले रहे तो फोटो खींच लेती है।

एसकेएस तोमर - जनता से तालमेल बैठा लगवाया तीसरी आंख का पहरा

सराफा एसीपी एसकेएस तोमर की ताकत है बेसिक पुलिसिंग। जनता से सीधा तालमेल बैठाने में माहिर तोमर खजराना क्षेत्र के सीएसपी रह चुके हैं। उन्होंने सीसीटीवी कैमरे लगाने का अभियान छेड़ा। व्यापारी, रहवासियों की मदद से बंगाली चौराहा से कनाड़िया तक 38 कैमरे लगवाए। फिर दरगाह चौराहा से खजराना थाना तक 52 कैमरों का नेटवर्क तैयार किया, जो अफसरों के फोन से कनेक्ट हुआ। उन्होंने एक मंत्र दिया कि जो भी कैमरा लगाएं, उसमें एक कैमरा पुलिस के लिए हो।

पूर्ति तिवारी - पैडलर्स के जरिए ड्रग माफिया तक पहुंची

संयोगितागंज एसीपी पूर्ति तिवारी संवेदनशील इलाकों की कमान संभाले हुए हैं। रेसिडेंसी कोठी पर वीआइपी आगमन के साथ कानून व्यवस्था संभालती हैं। वर्ष 2020 से इंदौर में पदस्थ पूर्ति को अपराध की तह तक जाने में विशेषज्ञता हासिल है। छोटी ग्वालटोली थाना क्षेत्र में लोहा कारोबारी से लूट हुई तो पूर्ति दिन-रात जांच में जुटी रहीं और चार दिन में लुटेरों को पकड़ लिया गया। ड्रग माफिया के विरुद्ध अभियान छेड़ा है। संयोगितागंज थाना में ड्रग पैडलर का नेटवर्क पकड़ा।

Posted By: Hemraj Yadav

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