Controversial Book: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। ला कालेज में विवादित किताब 2015 में खरीदी गई। तीन सदस्यीय समिति ने किताबों की सूची को मंजूरी थी, जिसमें सामूहिक हिंसा व दांडिक न्याय पद्धति भी शामिल थी। मगर 2019 में किताब को प्रतिबंधित कर दिया। बावजूद इसके विद्यार्थियों को इसी किताब से पढ़ाए जाने की बात सामने आई है।
किताब को लेकर यह हैं आरोप
दुधिया (खुड़ैल) निवासी लकी का आरोप है कि आरोपितों द्वारा असत्य, निराधार, राष्ट्र विरोधी, लोक प्रशांति को भंग करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने, धार्मिक उन्माद फैलाने के इरादे से झूठी, सारहीन, बगैर साक्ष्य के हिंदू धर्म के खिलाफ टिप्पणी की गई है। लेखक का उद्देश्य मुस्लिम छात्रों में हिंदू धर्म के विरुद्ध नफरत फैलाने की भावनाएं डालकर देश में आंतरिक गृह युद्ध छेड़कर राष्ट्र की संप्रभुता एवं आंतरिक सुरक्षा एवं धार्मिक सौहार्द पर कुठाराघात है।
लेखिका ने विधि कालेज को केंद्र बिंदु बनाया और प्राचार्य डा.इनामुर्रहमान के माध्यम से छात्रों को विवादित सामग्री परोसी गई। छात्रों का ब्रेनवाश कर अन्य राष्ट्र विरोधी संगठनों से ट्रेनिंग पाने के लिए उकसाया जा रहा है। नफरत एवं उन्माद की भावना जगाकर मुस्लिम छात्रों को देश में गृह युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा। शिक्षकों द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकें पढ़ने के लिए दबाव बनाया जा रहा।
कश्मीर निवासी हैं दो शिक्षक
कुछ शिक्षकों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कालेज प्रबंधन ने तत्काल छह शिक्षकों को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त किया था। इनमें प्रो. अमीक खोखर, डा. मिर्जा मोजिज बेग, डा. फिरोज अहमद मीर, डा. सुहैल अहमद वाणी, प्रो. मिलिंद कुमार गौतम, डा. पूर्णिमा बीसे शामिल हैं। प्रो. अमीक खोखर ने एलएलएम किया है और 2018-19 में नियुक्ति हुई है। वे न तो नेट उत्तीर्ण हैं और न ही पीएचडी की है। जबकि डा. बेग 2015 से 2019 के बीच अतिथि विद्वान रहे हैं। 2019 में पीएससी की परीक्षा दी और विधि महाविद्यालय में नियुक्ति है। डा. मीर और डा. वाणी दोनों अतिथि विद्वान हैं। दोनों ही मूलत: कश्मीर निवासी हैं।
वीडियो प्रसारित : बुर्का पहने महिला शिक्षका पढ़ा रही थीं धार्मिक ग्रंथ
विवादित पुस्तक के कुछ पेज सार्वजनिक होते ही शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्राचार्य डा. इनामुर्रहमान का घेराव किया। हंगामे के दौरान महाविद्यालय का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ है, जिसमें एक शिक्षका को परिसर में धार्मिक ग्रंथ पढ़ते दिखाया है। वीडियो में बुर्का पहने महिला शिक्षका के हाथ में धार्मिक ग्रंथ है। शिक्षका का नाम प्रो. नवी बताया जा रहा है, जो विद्यार्थियों को अंग्रेजी विषय पढ़ाती हैं। छात्रों ने इनके खुले में धार्मिक ग्रंथ पढ़ने पर भी आपत्ति ली थी। शनिवार को वह कालेज आई थीं, लेकिन हंगामा व प्रदर्शन होने के चलते तुरंत वहां से रवाना हो गईं।
शेष कालेजों से मंगवाएंगे जानकारी
शासकीय विधि महाविद्यालय की लाइब्रेरी में प्रतिबंधित होने के बावजूद किताब कहां से पहुंची। इसके बारे में उच्च शिक्षा विभाग की समिति जांच करने में जुटी है। समिति के सदस्यों ने यह भी तय किया है कि ऐसी किताबें बाकी सरकारी और निजी विधि महाविद्यालयों में तो उपलब्ध नहीं है। कालेजों को पत्र लिखकर इसकी जानकारी मंगवाई जाएगी। अतिरिक्त संचालक ने सोमवार को पत्र लिखने की बात कहीं है। वैसे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले 12 विधि महाविद्यालय हैं, जिनमें पांच सरकारी और सात निजी कालेज शामिल हैं।
लेखिका मांग चुकी है माफी
किताब को लेकर सात साल पहले भी विवाद खड़ा हुआ था। उस दौरान लेखिका डा. फरहत खान ने माफी मांगी थी। प्रकाशन को लिखे पत्र में लेखिका ने कहा कि किताब 2011 में लिखी थी। प्रकाशन 2015 में किया गया। जिसमें कुछ पेजों में अनजाने में आपत्तिजनक कथनों को समाहित किया गया है। इसके बारे में मुझे 2021 में जानकारी में लाया गया। इसमें कुछ गलत व आपत्तिजनक है तो मैं आपके माध्यम से समस्त पाठकों से क्षमा मांगती हूं। मेरा किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। अमर ला प्रकाशन के हितेश खेत्रपाल का कहना है कि 2021 में कंटेंट पर आपत्तियां आईं थीं। इसके बाद लेखिका ने माफी मांगी। सभी किताबें बुलवाकर हम लोगों ने नष्ट करवा दी थी। इसके कुछ पन्नो हटाकर नए सिरे से किताबों को प्रिंट करवाया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने जरूरी कदम उठाए हैं। समिति जांच कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद और सख्त कार्रवाई की जाएगी। वैसे इस तरह की सोच शैक्षणिक संस्थानों में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
-डा. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री
Posted By: Sameer Deshpande
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