IT Department Action: लोकेश सोलंकी, इंदौर (नईदुनिया)। राज्यकर यानी वाणिज्यिक कर विभाग ने व्यापारियों के बैंक खाते और एफडीआर फ्रीज करने की मुहिम शुरू कर दी है। ये व्यापारी वे करदाता हैं जिन पर पुरानी कर प्रणाली वैट के तहत बकाया टैक्स की मांग है। मांग निकाले जाने के बाद भी टैक्स नहीं जमा करने वाले ऐसे लगभग 500 से ज्यादा करदाताओं पर विभाग ने ऐसी कार्रवाई की है। विभाग के हर वृत्त के अधिकारियों को मुख्यालय ने ऐसे करदाताओं की सूची सौंपी है।

विभाग की ओर से ऐसे करदाताओं के मामले में तमाम बैंकों को पत्र लिखे गए हैं। संबंधित करदाता के खाते रखने वाली बैंक शाखा को स्थायी खाता संख्या (पैन) भी दी जा रही है। विभाग ने बैंक मैनेजरों को राजस्व वसूली की अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए व्यापारियों के उल्लेखित खातों को फ्रीज करने के साथ उस पैन से जुड़े सभी अन्य खाते और एफडीआर भी फ्रीज करने का निर्देश दिया है।

व्यापारियों को फोन लगा रहे अधिकारी

विभागीय सूत्रों के अनुसार वाणिज्यिककर विभाग के प्रत्येक वृत्त को ऐसे 80 या ज्यादा करदाताओं की सूची सौंपी गई है। खाते फ्रीज करने के साथ इन व्यापारियों को अधिकारी फोन लगाकर निर्देश भी दे रहे हैं कि कार्रवाई से राहत के लिए बचा टैक्स जमा कर दें। वित्त वर्ष के समाप्त होने से पहले सरकार का खजाना भरने और राजस्व में वृद्धि के लिए पुरानी फाइलों से धूल झाड़कर पहली बार ऐसी कार्रवाई की गई है।

30 दिनों बाद विभाग कर सकता है सख्ती

कर सलाहकार आरएस गोयल के अनुसार, वैट में धारा 34 के तहत तमाम करदाताओं को कर मांग का नोटिस मिलने के 30 दिनों बाद विभाग को राजस्व वसूली के लिए शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार है। करदाता मांग से सहमत है तो उन्हें टैक्स चुकाना होगा। असहमति की स्थिति में वे टैक्स की मांग अनुपात में 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत टैक्स जमा कर अपील कर सकते हैं। कार्रवाई पर स्टे हासिल कर सकते हैं। ताजा कार्रवाई से लाभ ये होगा कि लापरवाह करदाता टैक्स जमा कर देंगे। विभाग को भी वर्षों से ऐसी फाइलों को संभालकर रखना पड़ रहा था अब उनका भी निपटारा हो सकेगा। साथ ही शासन का खजाना भी भरेगा।

बूंद से बूंद से हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा करने की जुगत

कार्रवाई के दायरे में आए तमाम व्यापारी वे हैं जो पहले वैट कर प्रणाली में पंजीकृत डीलर थे। जुलाई 2017 में जीएसटी के लागू होने के साथ ही वैट पुरानी प्रणाली हो गई। पेट्रोल-डीजल और शराब को छोड़कर सभी व्यापार वैट से बाहर हो गए। ऐसे पुराने मामलों में कई व्यापारियों पर कर बाकी था। उन्होंने कर जमा नहीं किया और विभाग की ओर से उनके खिलाफ कर निर्धारण का आदेश भी पारित हो गया। नोटिस देने और पत्र लिखने के बाद भी इन्होंने कर नहीं चुकाया था। दरअसल, विभाग के अधिकारी भी इन पुराने कर वसूली प्रकरणों पर सुस्ती ओढ़े बैठे थे।

घाटे को पाटने की कोशिश

बीते साल केंद्र सरकार ने घोषणा कर दी कि जीएसटी के तहत अब राज्यों को मिलने वाले कंपंसेशन को बंद किया जा रहा है। केंद्र के निर्णय से मप्र को सालाना 10 हजार करोड़ के राजस्व के घाटे का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में इस घाटे को पाटने के लिए विभाग हर तरह से राजस्व जुटाकर खजाना भरने में लगा है। बीते दिनों विभाग ने मुहिम चलाकर जीएसटी में आइटीसी क्लेम करने का अभियान छेड़ा था। अब वैट के पुराने कर को वसूलने का अभियान छेड़ दिया गया है।

Posted By: Hemraj Yadav

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