इंदौर। कोरोना के शुरुआती दौर में जब कई नामी डॉक्टर मरीजों का इलाज करने से परहेज कर रहे थे, अरबिंदो अस्पताल के डॉ.रवि डोसी संक्रमितों के इलाज के लिए सामने आए। उन्होंने अस्पताल को ही अपना घर बना लिया। वे 24 घंटे वहीं रहते और इलाज में जुटे रहते। इस दौरान वे खुद भी संक्रमित हो गए, लेकिन उनका जज्बा कम नहीं हुआ। मेहनत रंग लाने लगी और मरीजों के ठीक होने का सिलसिला शुरू हो गया। अब तक डॉ. डोसी 11 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। 23 मार्च से शुरू हुआ यह सिलसिला अब भी जारी है।
बकौल डॉ. डोसी 22 मार्च को लगे जनता कर्फ्यू के समय ही लगने लगा था कि कोरोना रूद्र रूप अख्तियार करेगा। यह भी समझ में आने लगा था कि यह बीमारी श्वसन तंत्र से जुड़ी है और सामान्य से अलग है। मैंने उस वक्त ही तय कर लिया था कि मैं कुछ अलग करूंगा। जैसे-जैसे शहर में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी मेरी जिज्ञासा भी बढ़ने लगी। शुरुआत में कोरोना के इलाज को लेकर कोई निश्चित प्रोटोकॉल भी नहीं था।
ऐसे में स्वाइन फ्लू और श्वसन तंत्र से जुड़ी अन्य बीमारियों के इलाज का अनुभव काम आया। धीरे-धीरे परिणाम नजर आने लगे। मरीजों के ठीक होने का सिलसिला अब भी जारी है। सितंबर में एक ऐसा वक्त भी आया जब तमाम सावधानियों के बावजूद मरीजों का इलाज करते हुए डॉ. डोसी खुद संक्रमित हो गए। 11 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। इस दौरान भी वे मरीजों के इलाज में जुटे रहे। खुद के इलाज के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखते कि वार्ड में भर्ती मरीजों का इलाज ठीक से चल रहा है या नहीं। डॉ. डोसी ने कई जागरूकता अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। इन्होंने जबरदस्त सेवाभाव दिखाते हुए आदर्श स्थापित किया है। ये हैं हमारे तंत्र के गण।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
नईदुनिया ई-पेपर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
- #Tantra Ke Gan
- #Corona infected
- #corona in indore
- #treatment of corona patients
- #indore news
- #madhya pradesh news
- #dr ravi doshi