Khel Khel Me Column Indore: कपीश दुबे, इंदौर (नईदुनिया)। कांग्रेस विपक्ष में है और सत्ता की सीढ़ी सड़क पर मुद्दे उठाने से होकर गुजरती है। मगर कांग्रेसी यदाकदा ही सड़कों पर नजर आते हैं। राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त करने के बाद आक्रोश दिखाने शहरभर के कांग्रेस नेता रीगल चौराहे पर जुटे। इसके पहले भी जब पूरी कांग्रेस ‘एक’ हुई थी तो वजह राहुल ही थे। तब राहुल भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इंदौर से होकर गुजरे थे। आंदोलन में कांग्रेस के नेताओं ने जेल भरने सहित बातें बहुत बड़ी की थीं। मगर सवाल यह है कि क्या शहर कांग्रेस धरने के बाद इतिश्री कर लेगी या आंदोलन आगे बढ़ेगा। पुराना अनुभव यही रहा है कि आंदोलन के बाद अधिकांश चेहरे अपने घर की ओर मुड़ लेते हैं। इस बार मुद्दा पार्टी के सबसे बड़े नेता का है तो उम्मीद की जा सकती है कांग्रेसी चेहरे सड़क पर नजर आएंगे। वैसे भी यह चुनावी साल है और अपना राजनीतिक रिपोर्ट कार्ड मजबूत करने के लिए राहुल गांधी के समर्थन में ‘आक्रोशित’ होने से बेहतर कुछ नहीं होगा।

फिर जुटेगी विजयवर्गीय की 'क्रिकेट टीम'

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय क्रिकेट की सियासत में गलती से आए थे। मगर जब से आए हैं क्रिकेट के लोग उन्हें छोड़ नहीं रहे। इंदौर संभागीय क्रिकेट संगठन में उनकी अगुआई में एक बार फिर वार्षिक साधारण सभा होने जा रही है। करीब एक दशक पहले जब विजयवर्गीय ने इंदौरी क्रिकेट की कमान संभाली थी तो संगठन घाटे में था। अब तिजोरी भरती जा रही है और एक करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी फिक्स्ड डिपाजिट हो चुकी है। आगामी सभा में इनडोर एकेडमी का खाका तैयार किए जाने की तैयारी है। योजना है कि बालिका एकेडमी की जगह पर इनडोर एकेडमी तैयार की जाएगी। अमिताभ विजयवर्गीय और देवआशीष निलोसे की जुगलबंदी पर पूरा दारोमदार रहेगा। सुविधाएं बढ़ना इंदौरी क्रिकेट के लिए अच्छी बात है।

खेलों में बढ़ता लीग का चलन

क्रिकेट में जब से आइपीएल की शुरुआत हुई है, खेल की दशा और दिशा दोनों बदल गई। हर खेल की चाहत आइपीएल जैसी भव्यता और संपन्नता हासिल करने की है। मगर सबको वैसा वैभव नसीब नहीं हुआ, लेकिन प्रयास जारी हैं। इन दिनों शहर में भी खेलों की लीग की चर्चा है। हाल ही में यशवंत क्लब में स्क्वाश की लीग संपन्न हुई। अब टेनिस की पेशेवर लीग होने जा रही है। लीग की सफलता से ज्यादा संतोषप्रद यह तथ्य हो सकता है कि उद्योगजगत खेलों की ओर हाथ बढ़ा रहे हैं। खेल भावनाओं से जुड़ा विषय होता है जबकि उद्योग में भावनाओं का स्थान नहीं। यहां बही-खाता संबंध तय करता है। यदि उद्योगजगत खेल में लाभ-शुभ के संकेत तलाश रहे हैं तो यह बेहतर है। उम्मीद है भविष्य में अन्य खेलों की भी लीग शुरू होगी।

होलकर स्टेडियम के सितारे

दुनिया में सितारों का खेल अजीब होता है। होलकर स्टेडियम ने क्रिकेट की दुनिया के कई सितारों को देखा है। मगर इस मैदान के सितारे इन दिनों अच्छे चल रहे हैं। पिच को लेकर उठा विवाद ठंडा पड़ चुका है। आइसीसी ने भी अंग्रेज रेफरी का फैसला बदल दिया। बीसीसीआइ ने भी विश्व कप के मैचों के लिए जिन मैदानों को तय किया है, उनमें इंदौर का स्टेडियम भी शामिल है। अब मैदान की सूरत भी बदलने की तैयारी है। यहां आमंत्रितों की खातिरदारी के लिए दो नई लिफ्ट लगाने का काम शुरू हो चुका है। ऐसा नहीं है कि ख्याल सिर्फ मैच देखने वालों का ही रखा जाएगा। खेलने आने वाले खिलाड़ियों के लिए ड्रेसिंग रूम भी बड़ा करने पर रजामंदी हो चुकी है। कितना बड़ा किया जाएगा, यह अभी तय नहीं है। मगर ग्वालियर में बन रहे स्टेडियम से इंदौरी प्रशंसकों की चिंता बढ़ सकती है क्योंकि नया स्टेडियम तैयार होने के बाद पुराने की कितनी पूछपरख होती है यह सब जानते हैं।

Posted By: Hemraj Yadav

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