इंदौर(नईदुनिया प्रतिनिधि), Land Mafia in Indore। भूमाफिया के खिलाफ प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान में इस समय बाबी छाबड़ा के कब्जे वाली 15 से अधिक संस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं है। इन संस्थाओं में हजारों सदस्यों का हक दबा दिया गया है। सवा साल पहले जिला प्रशासन ने आपरेशन क्लीन के तहत बाबी से जुड़ी सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं की जांच-पड़ताल शुरू की थी। भूमाफिया बाबी के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर कई संस्थाओं का रिकार्ड भी जब्त किया गया था। इसके बाद जांच शुरू की गई थी, लेकिन पहले कोरोना और बाद में सरकार बदलने के कारण जांच तहां की तहां रुक गई। बाबी के कब्जे वाली संस्थाओं के पीड़ित सदस्य आज भी प्रशासन और पुलिस की जनसुनवाई में शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन उन पीड़ितों पर कोई गौर नहीं किया जा रहा है। कुछ संस्थाओं में बाबी ने एक संस्था से दूसरी संस्था में जमीन का घालमेल किया तो कुछ संस्थाओं में मूल सदस्यों को हटा नए सदस्य बनाए। उन्हें अच्छे-खासे दाम पर भूखंड बेच दिए।
इन संस्थाओं में बाबी का दखल : भूमाफिया बाबी छाबड़ा का कई संस्थाओं में दखल है। कुछ संस्थाओं में उसका सीधा दखल है तो कुछ में वह पर्दे के पीछे है। इनमें जागृति, सविता, मजदूर पंचायत, गजानन, आकाश, सर्वानंद, विकास अपार्टमेंट, कर्मचारी गण, सेंट्रल गवर्नमेंट आफिसर्स गृह निर्माण सहकारी संस्थाएं शामिल हैं। इन संस्थाओं के अलावा बाबी छाबड़ा के कब्जे में कुछ अन्य संस्थाएं भी हैं। इन संस्थाओं के पदाधिकारी तो कोई और हैं, लेकिन वे सब बाबी के ही बिठाए हुए लोग हैं जो बाबी के इशारे पर काम करते हैं।
कारनामों की बानगी : जेबी संस्थाएं बनाई, जमीन की हेराफेरी, पात्रों को हटाया
भूमाफिया बाबी ने एक दर्जन से अधिक सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं में बेशकीमती जमीन देखकर इनमें घुसपैठ की और धीरे-धीरे इनको अपनी जेबी संस्था बना लिया। जमीन की सबसे बड़ी हेराफेरी जागृति गृह निर्माण सहकारी संस्था में की। पीपल्याहाना में संस्था की 25.95 हेक्टेयर जमीन थी। इसमें 1990 में नगर तथा ग्राम निवेश से नक्शा पास हुआ तो 894 भूखंड निकले। वर्ष 1991-92 तक संस्था की राजगृही कालोनी में सभी भूखंडों का आवंटन हो गया। बाद में संस्था में बाबी का प्रवेश हुआ तो जमीन की धांधली शुरू हो गई। बाबी ने जागृति संस्था की 6 हेक्टेयर से अधिक जमीन को अतिशेष दिखाकर इसे अपनी ही एक अन्य संस्था सविता गृह निर्माण सहकारी संस्था को बेच दी। इसी जमीन में से कुछ दीपगणेश और दीप गृह निर्माण संस्थाओं व कुछ निजी कंपनियों को भी दे दी गई।
- बाद में राजगृही कालोनी का नक्शा संशोधित हुआ तो इसमें भूखंडों का साइज छोटा कर दिया गया और 1047 भूखंड निकाले गए। पर आश्चर्य की बात है कि आपरेशन क्लीन के समय प्रशासन की जांच में यहां 1685 सदस्यों की रजिस्ट्रियां सामने आईं। बताया जाता है कि यहां कुछ भूखंडों की रजिस्ट्री दो-दो, तीन-तीन सदस्यों को कर दी गई।
- सेंट्रल गवर्नमेंट आफिसर्स गृह निर्माण सहकारी संस्था में भी बाबी की लिप्तता है। संस्था में केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न् शासकीय विभागों के अधिकारी सदस्य बने। संस्था की जमीन बायपास रोड पर है। नौकरी में रहने के कारण सदस्यों ने ध्यान नहीं दिया और बाबी ने संस्था में घुसपैठ बनाकर अपने लोगों को काबिज कर दिया। इसके बाद गलत तरीके से कई बाहर के सदस्य बनाकर उनको प्लाट आवंटित कर दिए। मूल सदस्य अब भी अपने हक के भूखंड के लिए परेशान हो रहे हैं।
- देवी अहिल्या श्रमिक कामगार और मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्थाओं में भी पिछले दरवाजे से बाबी की इंट्री हुई है। देवी अहिल्या सोसायटी में तो बाबी का नौकर रणवीरसिंह सूदन ही अध्यक्ष रहा जिसने संस्था की जमीनों को बेच खाया। मजदूर पंचायत में बाबी का मैनेजर संदीप रमानी भी लिप्त था। आपरेशन क्लीन के समय प्रशासन ने रमानी के पास से करीब 20 संस्थाओं का रिकार्ड जब्त किया था। इसमें बाबी के कब्जे वाली संस्थाओं के अलावा अन्य संस्थाओं के दस्तावेज थे।
- गजानन गृह निर्माण संस्था की गोपूर एक्सटेंशन कालोनी में भी कई सदस्यों को अब तक भूखंड नहीं मिले हैं। पीड़ित सदस्यों जगदीश भावसार, देवेंद्र चांगण, नीलेश चांगण आदि की ओर से कलेक्टर को भी शिकायत की गई है। संस्था में 1997 तक अध्यक्ष रतन श्रीवास्तव ने सदस्यों को भूखंड दिए और बाद में इसमें भूमाफिया बाबी ने अपने रिश्तेदार सुखविंदर छाबड़ा को अध्यक्ष बनवा दिया।
Posted By: Prashant Pandey
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