Khelo India 2022: कपीश दुबे, इंदौर। शहर में कोई नदी नहीं है, जहां नाव चलाने का अभ्यास हो सके। मगर फिर भी 17 साल के इंदौरी युवा प्रद्युमन सिंह राठौर ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में देशभर के नाविकों को पछाड़ते हुए सलालम स्पर्धा के के-1 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। शहर के युवा खिलाड़ी ने इसके लिए महूनाका स्थित सरकारी स्विमिंग पूल में नाव चलाने का अभ्यास किया। खेलो इंडिया में कांस्य पदक जीतने वाले गुजरात के अनक चौहान ने भी इंदौर के इसी स्वीमिंगपूल में नाव चलाना सीखा।

खेलो इंडिया में पहली बार केनो सलालम स्पर्धा को शामिल किया गया है। इसमें कुल चार इवेंट होना हैं। सोमवार को के-1 वर्ग की स्पर्धा हुई। इसमें इंदौर के प्रद्युमन सिंह राठौर ने पहला, मेघालय के प्योंग सेगकुरबाह ने दूसरा और गुजरात के अनक चौहान ने तीसरा स्थान हासिल किया। स्पर्धा के दौरान कुल 18 द्वार से नाविक को सफलतापूर्वक निकलना होता है। इनमें से 12 द्वार धारा के साथ होते हैं जबकि छह द्वारा धारा के विपरित होते हैं।

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती

मप्र की जीवनरेखा कहलाने वाली मां नर्मदा का शांत पानी महेश्वर की सहस्त्रधारा में तूफानी रूप धारण कर लेता है। नर्मदा में नाव चलाने वाले नाविकों के लिए भी यहां नाव चलाना बेहद कठिन होता है। शहर के महूनाका स्थित लक्ष्मणसिंह चौहान तरणपुष्कर पर सहस्त्रधारा की चुनौती से निपटने का अभ्यास करने सूरज उगने से पहले खिलाड़ी पहुंच जाते हैं। स्वर्ण विजेता प्रद्युमन सिंह ने बताया कि नियमित सहस्त्रधारा पर अभ्यास करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। ऐसे में हमने स्वीमिंगपूल में अभ्यास किया, जिसका फायदा मिला। प्रद्युमन सिंह दूसरे स्थान पर रहने वाले मेघालय के खिलाड़ी से 20 सेकंड आगे रहे। वे इसके पहले भी वाटर स्पोट्र्स में दो अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं।

स्वीमिंग पूल बनाम सहस्त्रधारा

सहस्त्रधारा पर पानी की तूफानी गति के अलावा नदी के ऊबर-खाबड़ पत्थरों से टकराने का भय बना रहता है। कुछ माह पहले ही यहां एक नाविक की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। स्पर्धा के दौरान धारा के विपरित भी नाव चलाना होती है, वहीं स्वीमिंगपूल में पानी ठहरा होता है। पत्थरों से बचने का अभ्यास भी नहीं हो पाता।

सूरज उगने से पहले शुरू हो जाता है अभ्यास

लक्ष्मण सिंह चौहान तरणपुष्कर पर प्रशिक्षण देने वाले कोच मनीष इमोलिया और सागर तोंडे ने बताया कि यहां नियमित समय में तैराकी करने वाले लोग और खिलाड़ी आते हैं। ऐसे में नाव चलाने का अभ्यास अतिरिक्त समय में होता है। नाविक सुबह पांच बजे पहुंच जाते हैं और करीब साढ़े छह बजे तक अभ्यास होता है। वहीं शाम को शाम छह बजे बाद अभ्यास शुरू होता है, जो रात साढ़े आठ या नौ बजे तक चलता है।

Posted By: Sameer Deshpande

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