MP High Court: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि सिमरोल के बीएम फार्मा कालेज की प्राचार्य विमुक्ता शर्मा द्वारा बार-बार लिखित शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की थी। हाई कोर्ट ने यह जवाब उस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मांगा है, जिसमें इस हत्याकांड में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। शासन को चार सप्ताह में जवाब देना है।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका विनोद द्विवेदी ने एडवोकेट हितेश शर्मा के माध्यम से दायर की है। याचिका में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा है कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली में बड़ी गड़बड़ है। शिकायतकर्ता शिकायत करने के बाद महीनों तक पुलिस थानों के चक्कर काटते रहते हैं। शिकायतें भी कई महीने तक पड़े-पड़े धूल खाती रहती हैं, लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती। सर्वोच्च न्यायालय कई मौके पर कह चुका है कि पुलिस को शिकायत मिलते ही जांच शुरू करना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।
दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो
प्राचार्य शर्मा भी दो वर्षों से आरोपित की शिकायतें कर रही थीं, लेकिन सिमरोल पुलिस के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। समय रहते शिकायतों पर कार्रवाई हो जाती तो आज प्राचार्य शर्मा हमारे बीच होतीं। याचिका में मांग की गई है कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए और पुलिस को आदेश दिया जाए कि वह शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई करे, ताकि प्राचार्य की तरह और किसी को जान न गवाना पड़े।
पुलिस से परेशान लोगों के शपथ पत्र भी प्रस्तुत किए
याचिका के साथ पुलिस की कार्यशैली से पीड़ित लोगों के शपथ पत्र भी प्रस्तुत किए गए हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि इनमें से एक मामला बड़वाह पुलिस थाने का है। व्यक्ति दो वर्षों से शिकायत कर रहा है, लेकिन पुलिस आवेदक के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज करने की बात कर रही है। इसी तरह एक मामला लसूड़िया थाने का है। दुष्कर्म पीड़िता एक महिला की शिकायत के 14 माह बाद पुलिस ने एफआइआर दर्ज की। ऐसे ही एक मामला छत्रीपुरा पुलिस थाने का है। यहां पुलिस आवेदक के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज करने की बात कर रही है।
लाइन अटैच करना दंडात्मक कार्रवाई नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि प्राचार्य हत्याकांड के बाद पुलिस थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया गया है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि थाना प्रभारी को लाइन अटैच करना कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। याचिका में प्रोफेसर सबरवाल हत्याकांड का उल्लेख करते हुए कहा है कि वर्षों पहले हुए इस हत्याकांड के बावजूद पुलिस की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ।
यह है मामला
20 फरवरी की शाम 5 बजे प्राचार्य विमुक्ता शर्मा पर कालेज के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी। इसमें प्राचार्य 90 प्रतिशत झुलस गई थीं। उन्हें चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। विमुक्ता शर्मा कालेज से घर जाने के लिए निकल रही थीं। वे पार्किंग में कार के पास पहुंची तभी आशुतोष ने वारदात को अंजाम दे दिया। आरोपित दो वर्ष से धमकी दे रहा था।
Posted By: Hemraj Yadav
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