मुकेश मंगल, इंदौर, MP Police। गुम हुई बच्चियों को तलाशने के लिए 6 जनवरी से शुरू किया गया 'मुस्कान' अभियान रंग लाने लगा है। इंदौर का पश्चिमी जिला इसमें प्रदेश भर में अव्वल है। यहां 43 बच्चियां और 10 बच्चों को तलाश कर उनके स्वजन से मिलवा दिया गया। एसपी ने लापता बच्चे-बच्चियों की तलाश में जुटी टीमों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार की घोषणा की है। टीम यदि दस वर्ष से गुम बच्ची को तलाश कर लाती है तो उसे दस हजार रुपये का पुरस्कार मिलेगा। 8 वर्ष से गुम बच्चे-बच्ची को लाने पर आठ हजार पुरस्कार टीम को दिया जा रहा है। एसपी (पश्चिम) महेश चंद जैन के अनुसार पुलिस ने कुछ को रिश्तेदारों के पास तो कुछ को दूसरे राज्यों में मजदूरी या नौकरी करते हुए पाया।
बरामद ज्यादातर बच्चों ने बयानों में बताया कि उन्होंने माता पिता से नाराज होकर घर छोड़ा था। पुलिस ने बच्चों के साथ उनके पालकों की काउंसिलिंग की और घर ले जाकर छोड़ा। कोरोना काल के कारण बच्चों का कोविड-19 टेस्ट करवाया गया। एसपी के अनुसार पुलिस ने मानव तस्करी की आशंका की दृष्टि से भी जांच की, लेकिन ऐसा कोई गिरोह सामने नहीं आया। कुछ बच्चे पढ़ाई के डर से बिना बताए रिश्तेदारों के घर जाकर छिप गए थे।
नासमझी में प्रेमियों के साथ भाग गई बच्चियां : एसपी के अनुसार पुलिस द्वारा बरामद नाबालिगों में ज्यादातर बच्चियां हैं। उनमें भी अधिकांश ऐसी हैं जो प्रेमी या दोस्त के बहकावे में आकर भागी थीं। बरामद कर उन्हें समझाया कि यह उम्र शादी की नहीं है। कानूनन बालिग होने पर वे शादी कर सकती हैं। चंद्रावतीगंज थाना क्षेत्र के हासाखेड़ी से 13 वर्षीय एक बच्ची भी प्रेमी के संग फरार हो गई थीं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण बच्चों के गुम होने पर अपहरण का केस दर्ज करना पड़ता है।
घरवालों से गुस्सा होकर छोड़ा : पुलिस ने बरामद बच्चों के बयान लिए तो 16 ने कहा कि उन्होंने घर वालों की फटकार या उनसे नाराज होकर घर छोड़ा था। शिक्षक नगर की 17 वर्षीय बच्ची तो दादी की डांट के कारण घर से चली गई थी। इसी तरह गौतमपुरा की बच्ची मां से गुस्सा होकर सहेली के पास चली गई थी।
Posted By: Prashant Pandey
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