इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में भले ही खेती नहीं होती है, लेकिन नगरीय सीमा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली ने नगर में वायु की गुणवत्ता खराब कर रखी है। इसी कारण 8 मार्च के बाद से अब तक नगर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे नहीं आ पा रहा है। शहर की जलवायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रशासन लगातार योजना बना रहा है, लेकिन इसका प्रभाव नहीं दिख रहा है। हालांकि चार नए मौसम केंद्र बनाने के लिए नगर निगम ने टेंडर जारी किए हैं।
नगर में बहुमंजिला इमारतों की छत पर इन दिनों पराली के अवशेष मिल रहे हैं। इसी का प्रभाव है कि नगर में तमाम प्रयासों के बाद भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) कम नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने रीगल तिराहे पर पुलिस नियंत्रण कक्ष में प्रदूषण निगरानी केंद्र बनाया है। इसमें 24 घंटे प्रदूषण को मापा जाता है। अत्याधुनिक मशीन में पीएम 10, पीएम 2.5, नाइट्राक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और ग्राउंड लेवल ओजोन की गणना की जाती है। इस रियल टाइम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार नगर की हवा में प्रदूषणकारी तत्वों की मात्रा 8 मार्च के बाद से कम ही नहीं हुई है। 8 मार्च को शहर का एक्यूआइ 99 था। उसके बाद से यह लगातार बढ़ रहा है। 29 अप्रैल को यह 100 पर आया था, लेकिन इसके नीचे नहीं गया। मई माह में अब तक यह 100 से ऊपर ही रहा है। दो मई को यह 116 तो 7 मई को यह 178 के स्तर पर था।
क्यों हो रहा है ऐसा - प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पूर्व प्रयोगशाला अधिकारी डा. डीके वागेला बताते हैं कि इन दिनों पराली का कचरा हवा में घूम रहा है। इन दिनों हवा हल्की होती है। इसलिए प्रदूषणकारी तत्व हवा में ऊपर चले जाते हैं। इसके अलावा आग लगने की कुछ घटनाएं भी हुई हैं। इससे भी प्रदूषण बना हुआ है। जब तक हवा की गति तेज नहीं होगी, शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ ही रहेगा।
एक भी चालान नहीं - मार्च में ही शासन ने एक आदेश निकाला था, जिसमें पराली जलाने पर दो एकड़ से कम भूमि रखने वाले किसान को 2500 रुपये, पांच एकड़ जमीन वाले को 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले किसान को 15000 रुपये की पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी। इंदौर में इस तरह का कोई चालान नहीं किया गया है।
यह प्रयास कर रहा प्रशासन - सड़क से पुराने वाहनों को हटाने के लिए योजना बनाई गई है। इनके बदले में इलेक्ट्रिक वाहनों को लाया जाएगा। इसके लिए दो साल तक मुफ्त चार्जिंग की सुविधा देने की योजना बनाई गई, लेकिन अब तक काम चल रहा है। इसके अलावा शहर के होटलों में जलने वाले तंदूर पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया। निर्माण कार्यों से प्रदूषण नहीं फैले, इसलिए इस काम को ढंक कर करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
Posted By: Hemraj Yadav
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