World Cancer Day 2023: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जिले की महू तहसील के गांव हरसौला को चार साल पहले कैंसर गांव के नाम से जाना जाता था। यहां हर दूसरे घर में कैंसर के मरीज थे। गत तीन सालों में यहां की स्थिति बदल गई है। यहां अब कैंसर के केवल सात मरीज हैं। यह बदलाव केवल 20 दिन की कार्यशैली से आ गया। इन दिनों में प्रशासन ने सर्वे कर मरीजों को चिह्नित किया। साथ ही उनका इलाज भी शुरू करा दिया गया। इससे गांव से कैंसर नाम का कलंक मिट गया है। हरसौला की वर्तमान में करीब 11 हजार जनसंख्या है।

सर्वे के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी मेडिकल आफिसर डा. सुषमा कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने 20 दिन की जगह 12 दिन में सर्वे कार्य पूरा कर रिपोर्ट सबमिट कर दी थी। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ ही आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को भी लगाया गया था। सर्वे रिपोर्ट में कैंसर के 31 मरीजों की पहचान हुई थी।

सर्वे के बाद कैंसर के लक्षण वाले सभी फार्मेट को अलग-अलग कर मरीजों को चिह्नित किया गया। फिर स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ एमवायएच के कैंसर विभाग के सभी कैंसर विशेषज्ञों की टीम को हरसौला बुलाया गया। हरसौला में करीब एक सप्ताह का कैंप किया गया, जहां मरीजों की प्राथमिक जांच की गई। इसके बाद कुछ मरीजों को चिह्नित कर कैंसर की जांच और इलाज के लिए इंदौर एमवायएच अस्पताल रेफर किया गया और इलाज शुरू किया गया।

अब भी जारी है सर्वे

सर्वे के बाद अब तक करीब 18 मरीजों की मौत हो गई। कुछ का इलाज जारी है। करीब छह मरीजों ने इस बीमारी से निजात पा ली है, हालांकि, उनकी दवा चल रही है। अब राज्य शासन के नान कम्युनिकेबल डिसीज प्रोग्राम के तहत सर्वे किया जा रहा है। यह सर्वे हर महीने होता है। फिलहाल पूरे गांव में केवल कैंसर के सात मरीज हैं।

जिले और राज्य तक डाटा तैयार कर भेजा

ब्लाक मेडिकल अफसर डा. योगश सिंगारे ने बताया कि कैंसर के मरीज सबसे अधिक हरसौला गांव में मिले थे। इसके लिए प्रशासन ने मरीजों को डायग्नोस कर उनके इलाज की पूरी व्यवस्था की थी। साथ ही लगातार उन मरीजों का डाटा बनाया गया। मरीजों को किस तरह की दवा दी गई, कौन सी स्टेज में सामने आए सहित पूरा डाटा तैयार किया गया। यह डाटा जिला सहित राज्य स्तर तक भेजा गया। इसमें पानी की जांच भी की गई थी।

Posted By: Sameer Deshpande

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