Advocates Day: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अधिवक्ता दिवस के मौके पर संस्था न्यायाश्रय ने अधिवक्ताओं के साथ मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया। 'समाज में अधिवक्ताओं की भूमिका' विषय पर आयोजित इस व्याख्यान में वक्ताओं ने अपने विचार रखे। विधि विशेषज्ञ पंकज वाधवानी ने इस मौके पर कहा कि हमारे देश की प्राचीन न्यायिक अवधारणा 'सभी के लिए न्याय' पर आधारित है। संविधान का निर्माण करते समय संविधान सभा के सभी सदस्यों ने भी इसी बात को बल दिया किंतु वर्तमान में यह देखा जा रहा है कि न्याय कुछ वर्ग विशेष को तेजी से मिल रहा है। अनेक व्यक्ति न्याय से वंचित हो रहे हैं।
कुछ समाज के वर्गों को आज भी न्याय की प्राप्ति नहीं हो रही है। जस्टिस फार आल की अवधारणा को साकार करने की जिम्मेदारी और शक्ति दोनों अधिवक्ताओं के पास है यदि अधिवक्ता सामूहिक संकल्प ले ले तो इस अवधारणा को धरातल पर उतारा जा सकता है। वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी इस दिशा में कार्ययोजना बनानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में केस लगाना गरीबों के बस की बात नहीं
कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने कहा कि भले ही हमारे संविधान की उद्देशिका में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की स्थापना की बात की गई हो अथवा निश्शुल्क कानूनी सहायता इत्यादि के प्रविधान आज्ञा पर कर दिए गए हो किंतु आज भी आर्थिक रूप से विपन्न व्यक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपना प्रकरण दर्ज करवाना संभव नहीं है। यही अंतर न्याय के प्रति असंतुष्टतता का भाव उत्पन्न करता है।
वक्ताओं ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिवक्तागण एवं कानून के विद्यार्थियों से आव्हान किया कि सभी को संकल्प लेना चाहिए कि जस्टिस फार आल के लिए हम सभी अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे और इस समाज को बेहतर समाज बनाने में अपना योगदान देंगे।
Posted By: Sameer Deshpande
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