इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि,Oxygen Indore News। शहर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच रेमडेसिविर के साथ ही बड़ा संकट आक्सीजन है। अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों को आक्सीजन की जरूरत है, लेकिन इसकी मांग और पूर्ति में भी काफी अंतर है। एक अनुमान के मुताबिक, शहर के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को हर दिन करीब सात हजार सिलेंडर आक्सीजन की जरूरत है, लेकिन फिलहाल पांच हजार सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं। यह इंतजाम भी पूरा जोर लगाने के बाद हो पा रहा है। इस तरह देखा जाए तो मांग और पूर्ति में करीब 30 फीसद की खाई अब भी बनी हुई है।
प्रशासन और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी इस खाई को पाटने में लगातार लगे हुए हैं। बुधवार को अस्पतालों में आक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था, लेकिन गुरुवार को भिलाई से आक्सीजन के दो टैंकर आने के बाद राहत की संभावना है। इनहर्ट कंपनी के टैंकरों के जरिए भिलाई से लिक्विड आक्सीजन का इंतजाम होने के बाद बीआरजे कॉर्पोरेशन को उपलब्ध कराया गया। बीआरजे के कारखाने से सिलेंडर भरकर अस्पतालों को भिजवाए गए। आक्सीजन की आपूर्ति और प्रबंधन का जिम्मा नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल, अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर के अलावा एकेवीएन के कार्यकारी निर्देशक रोहन सक्सेना को दिया गया है।
फिजूलखर्ची रोकने के जतन
दूसरी तरफ आक्सीजन की फिजूलखर्ची रोकने के जतन भी किए जा रहे हैं। इस बारे में कमिश्नर डा. पवन शर्मा ने संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों, सीएमएचओ, अस्पतालों और स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अस्पतालों में ऑक्सीजन की फिजूलखर्ची को रोकने के कदम उठाएं। अस्पतालों में आक्सीजन की पाइपलाइन की 24 घंटे में जांच कर देखा जाए कि कहीं लीकेज तो नहीं है। इसके लिए अस्पतालों से नो लीकेज या नो वेस्टेज के प्रमाण-पत्र लिए जाएं। हर तीन दिन में आक्सीजन लाइन का भौतिक सत्यापन किया जाए और संभागायुक्त कार्यालय को रिपोर्ट भेजी जाए। अस्पताल में जब मरीज शौच के लिए जाते हैं या मोबाइल पर बात करते हैं तब भी आक्सीजन की सतत सप्लाई जारी रहती है। उस समय आक्सीजन का नुकसान होता है। कई बार डाक्टर की सलाह से अधिक आक्सीजन मरीज को दी जा रही होती है। उस स्थिति में भी आक्सीजन का दुरुपयोग होता है। इसलिए हर वार्ड के लिए आक्सीजन प्रभारी की ड्यूटी लगाई जाए।
Posted By: gajendra.nagar
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