Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर नगर निगम सीमा में शामिल गांवों के आसपास गगनचुंबी इमारतें तो खूब बनी, लेकिन गांवों का विकास आसपास की कालोनियों की तरह नहीं हो पाया। आज भी गांवों में ग्राम पंचायत के दौरान हुए विकास कार्य ही नजर आते है। गांव नौ सालों से अपने वजूद की लड़ाई लड रहे है। इन गांवों में अब पंचायत के समय का सुनहरा दौर चला गया है, लेकिन शहर की चकाचौंध अब तक नहीं पहुंच पाई है। ऐसा ही कुछ हाल पिपल्याकुमार का है। गांव में पीने के पानी के लिए लोग आज भी परेशान है। गांव में पानी की पाइप लाइन नौ साल में भी नहीं डाली गई। पंचायत के दौर में डाली गई ड्रेनेज लाइन हमेशा चौक होती है।
निपानिया पंचायत का गांव पिपल्याकुमार गांव नौ साल पहले नगर निगम सीमा में शामिल किया गया था। गांव के लोग नगर निगम सीमा में शामिल होने से खुश भी थे कि अब गांव का विकास तेजी से होगा और सुविधाएं भी मिलेगी, लेकिन अब पछता रहे है। लोगों का कहना है कि नगर सीमा में शामिल होने से नए काम तो नहीं हुए, लेकिन तमाम तरह की बंदिशे लगाई चुकी है। गांव में आज भी पंचायत के दौर की सीमेंट की सड़के नजर आती है।निगम सीमा में शामिल होने के बाद नई ड्रेनेज लाइन भी नहीं डाली गई। आधे गांव में ड्रेनेज लाइन दो माह पहले बिछाने का काम शुरू हुआ है।
गांव में नहीं पहुंची पानी की लाइन
नगर निगम सीमा में होने के बाद नर्मदा के पानी की लाइन के लिए लाेग लंबे समय तक इंतजार करते रहे, लेकिन पानी की लाइन नहीं डाली गई। कुछ माह पहले आधे गांव में पानी की लाइन डाली जा चुकी है, लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं दिए गए। आधे गांव में तो लाइन भी नहीं डाली गई। गांव में सबसे ज्यादा परेशानी पीने के पानी की है, जिसका समाधान नौ सालों में नगर निगम नहीं कर सका।
आइडीए की स्कीम के डर से बेची जमीने
गांव के सोहन चौधरी का कहना है कि साल 1984 के दौर में गांव में किसानों ने आइडीए की स्कीम के डर से जमीन बेचना शुरू किया था। सात से आठ साल में किसानों ने पूरी जमीने 30 से 40 लाख रुपये बिघा के दाम पर बेच दी। 80 के दौर में गांव में 70 परिवार रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते गए।
खाली जमीन पर खड़े नहीं कर सकते पशु
गांव में ही रहने वाले पूनमचंद चौधरी का कहना है कि गांव में हमेशा से लाेग दूध के लिए गाय और भैंस पालते रहे है। लेकिन नगर निगम सीमा में आने के बाद गो पालन मुश्किल हो चुका है। खाली पड़ी जमीन पर भी गाय भैंस ले जाने पर चालान काटा जा रहा है। लोगों की मजूबरी है कि जानवरों को घर में ही बांधकर रखना पड़ता है। कई लोगों के चालान काटे गए है। गांव में 70 प्रतिशत लोगाें ने पशु बेच दिए है और दूध खरीद रहे हैं।
कमेटी रखेंगे प्रस्ताव
गांवों की समस्या से महापौर को अवगत करा चुके है। बजट होने के बाद भी गांव में विकास के कार्य शुरू नहीं हुए है। 29 गांवों के विकास के लिए बनी कमेटी की बैठक होना है, उसमें समस्याओं को लेकर प्रस्ताव रखा जाएगा।
- सुरेश कुरवाड़े, पार्षद, वार्ड 36 नगर निगम इंदौर
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