इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने पंजीयक, लोक न्यास, बड़वानी द्वारा जैन समाज के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बावनगजा (चुलगिरी) को लेकर 17 नवंबर 2021 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने माना कि पंजीयक लोक न्यास बगैर न्यास का पक्ष सुने किसी न्यासी की सदस्यता समाप्त नहीं कर सकते। पंजीयक लोक न्यास बड़वानी ने न्यास के दो सदस्यों की सदस्यता एक शिकायत के आधार पर समाप्त कर दी थी।
न्यास की तरफ से पैरवी करने वाले एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने बताया कि एक शिकायत के आधार पर पंजीयक लोक बड़वानी ने दो सदस्यों की न्यास से सदस्यता समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया था। न्यास की ओर से सौरभ पाटोदी द्वारा पंजीयक के आदेश को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। एडवोकेट खंडेलवाल ने न्यास की तरफ से तर्क रखा कि पंजीयक, लोक न्यास किसी न्यासी की सदस्यता समाप्त नहीं कर सकते। न ही न्यास के प्रबंधन के लिए कोई निर्देश जारी कर सकते हैं। आदेश जारी करने से पहले न्यास का पक्ष भी नहीं सुना गया था। तर्कों से सहमत होते हुए न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने न्यास की याचिका स्वीकार कर पंजीयक के आदेश को समाप्त कर दिया है।
Posted By: Sameer Deshpande