इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अमृत योजना में 650 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद नगरवासी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। नर्मदा का तीसरा चरण आ चुका है, लेकिन न 24 घंटे पानी की आपूर्ति हो रही है, न आपूर्ति किया जा रहा पानी पूरी तरह शुद्ध है। पांच साल पहले नगर निगम खुद न्यायालय में आश्वासन दे चुका है कि नर्मदा का तीसरा चरण आने के बाद नगरवासियों को पानी की समस्या नहीं रहेगी। उन्हें 24 घंटे शुद्ध पानी की आपूर्ति की जाएगी। नर्मदा का तीसरा चरण आ भी गया, लेकिन हालात नहीं सुधरे। मामले में घोटाले की आशंका है। सीबीआइ जांच की जानी चाहिए।
इस आशय की जनहित याचिका पर सोमवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने अभिभाषक मनीष यादव के माध्यम से दायर की है। इसमें बताया गया है कि नर्मदा के तीसरे चरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। अमृत योजना के नाम पर 2018 से अब तक 650 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन हालात नहीं बदले। नगरवासियों को आपूर्ति किए जा रहे गंदे पानी को लेकर पहले भी एक जनहित याचिका दायर हुई थी। तब 2016 में नगर निगम ने आश्वासन दिया था कि नर्मदा का तीसरे चरण आने के बाद हालात बदल जाएंगे। लोगों को 24 घंटे शुद्ध पानी मिलने लगेगा। निगम के इस आश्वासन पर भरोसा कर न्यायालय ने उस जनहित याचिका का निराकरण कर दिया था। छह साल बाद भी हालात नहीं बदले। अब भी लोगों को एक दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है। आपूर्ति किया जाने वाला पानी गंदा है। इस बात की सीबीआइ जांच होनी चाहिए कि आखिर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ? न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद मामले मेें आदेश सुरक्षित रख लिया।
Posted By: Hemraj Yadav