Solar Energy: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर अब सूरज का सगा बेटा बन गया है। हुआ यूं है कि मध्य प्रदेश में इंदौर ही है, जिसने सबसे तेजी से सौर ऊर्जा को बिजली में बदलने की ओर कदम बढ़ाए हैं। अब अपने शहर की छतों पर 4500 ऐसे स्थान हैं, जहां पर सूर्य की ऊर्जा से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। दरअसल, स्वच्छ इंदौर ने स्मार्टनेस दिखाते हुए स्वच्छ ऊर्जा को तेजी से अपनाना शुरू कर दिया है। अब गर्मी का सीजन शुरू हो रहा है, ऐसे में दिन के अधिकांश समय धूप मिलने से बिजली का उत्पादन भी अन्य मौसमों के मुकाबले अधिक होगा।
सौर ऊर्जा के प्रति शहर के नागरिकों में उत्साह बढ़ता जा रहा है, एक माह में शहरी सीमा में 160 उपभोक्ताओं ने इस ओर रूचि दिखाकर पैनल्स लगाई है। अब शहर सीमा, सुपर कॉरिडोर, बायपास आदि क्षेत्रों में कुल 4500 स्थानों पर सूरज की किरणों से पैनल्स के माध्यम से बिजली उत्पादन हो रहा है, यह बिजली नेट मीटर में होकर लाइनों में प्रवाहित हो रही है। इनकी संख्या अगले कुछ महीनों में बढ़ने की उम्मीद है। मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि कंपनी क्षेत्र में एक माह के दौरान लगभग पौने तीन सौ उपभोक्ता नेट मीटर प्रणाली से जुड़े है। इसमें से सबसे ज्यादा इंदौर शहरी सीमा के पास लगभग 160 उपभोक्ता छतों, परिसर, मैदान इत्यादि स्थानों पर पैनल्स लगाकर बिजली उत्पादन के लिए कार्य प्रारंभ कर चुके है। अब शहरी सीमा में लगभग 4500 स्थानों पर पैनल्स लगी है।
अपन रोज बना रहे दो लाख यूनिट बिजली
अपनी छतों पर सोलर पैनल लगाकर इंदौरी लोग यानी अपन, प्रतिदिन लगभग दो लाख यूनिट बिजली तैयार कर रहे हैं। इंदौर से हर तरह की उन्नत बातें सीखने वाले मालवा-निमाड़ के अन्य जिलों-कस्बों ने सौर ऊर्जा के मामले में भी हमसे सीख ली है। मालवा-निमाड़ में अब तक करीब साढ़े सात हजार उपभोक्ता रूफ टाप सोलर नेट मीटर प्रक्रिया अपना चुके हैं। इन के मौजूदा बिल मात्र अंतर राशि के ही दिए जा रहे हैं। तोमर ने बताया कि मप्र में सबसे ज्यादा इंदौर शहर में ही पैनल्स लगी है। इंदौर के बाद बिजली कंपनी क्षेत्र के उज्जैन जिले में 955 स्थानों पर, रतलाम जिले में310, खरगोन जिले में 250 स्थानों पर, नीमच जिले में 190 स्थानों पर, धार जिले में 180 स्थानों पर सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान में कंपनी क्षेत्र में 80 मैगावॉट से ज्यादा के नेट मीटर संयंत्रों की स्थापना हो चुकी है। प्रतिमाह यह क्षमता बढ़ती जा रही है। ग्रीन एनर्जी, कार्बन उत्सर्जन में कमी, बिजली बिल में कमी के लिए यह अच्छी पहल है।
ग्रीष्मकाल में ज्यादा उत्पादन
ग्रीष्मकाल में सूरज की किरणों की उपलब्धता अधिकतम तेरह घंटे तक हो जाती है। इस तरह पैनलों से शीत काल की तुलना में तीस फीसदी तक ज्यादा बिजली तैयार होती है। एक किलो वाट के सौर ऊर्जा संयंत्र से 6 यूनिट तक बिजली मिल जाती है। शहर में कई जगह पचास किलो वाट के भी संयंत्र लगे है।
Posted By: Sameer Deshpande