
कपिल नीले, नईदुनिया, इंदौर। वन्यप्राणियों के बचाव के लिए रेस्क्यू आपरेशन चलने के साथ वन विभाग ने विदेशी जानवरों को लेकर नए नियम बनाए हैं। अब विदेशी जानवरों की मेडिकल रिपोर्ट और ब्रिडिंग से जुड़ी जानकारी जुटानी होगी। प्रत्येक वनमंडल सालभर में दो बार इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर वन मुख्यालय भोपाल भेजेंगे। यह जिम्मेदारी प्रत्येक रेंज को सौंपी गई है। नवंबर से लागू इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य विदेशी जानवरों की तस्करी रोकना है।
2020 से शुरू हुए पंजीयन
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 से पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोर्टल पर मकाऊ, अफ्रीकी तोते, टुरको, कैपडोवे, विदेशी कछुए, इगुआना, विदेशी नस्लों के कुत्तों सहित अन्य विदेशी जानवरों के पंजीयन की व्यवस्था कर रखी है। जो लोग ऐसे जानवर पालते या उनका व्यापार करते हैं, उन्हें पोर्टल पर जरूरी जानकारी देनी होती है। बताना होता है कि जानवर कहां से लाया गया, कितनी कीमत पर खरीदा और किसे बेचा। जानवर के स्वास्थ्य और प्रजनन से जुड़ी जानकारी भी देनी जरूरी है। 2022 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के संशोधित नियमों में विदेशी जानवरों को रखने और उनके प्रजनन के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है।
गलत जानकारी पर होगी कार्रवाई
परिवेश पोर्टल पर विदेशी जानवर के पंजीयन की शुल्क एक हजार रुपये निर्धारित है। पालतू विदेशी जानवर से संतान होने पर सात दिनों के भीतर जानकारी दर्ज करनी होगी। उसे बेचने या डोनेट करने की सूचना भी पोर्टल पर दर्ज करनी होगी। गलत जानकारी दर्ज करने पर कार्रवाई का भी प्रविधान है। इससे जानवरों की सुरक्षा पुख्ता होगी।
सत्यापन भी नहीं हो रहे
परिवेश पोर्टल पर पंजीकृत जानवरों के सत्यापन की भी व्यवस्था है। नियमानुसार वन विभाग को हर साल सत्यापन करने के बाद पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना है, लेकिन अभी इस प्रक्रिया का गंभीरता से पालन नहीं किया जा रहा। वरिष्ठ अधिकारियों ने अब जानवरों की मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए पंजीकृत जानवरों को वेटरनरी डाक्टरों से स्वास्थ्य परीक्षण कराना होगा। उनके ब्रिडिंग की जानकारी भी प्राप्त करनी है।
वेटरनरी डाक्टरों की लेना होगी मदद
डीएफओ, इंदौर वनमंडल प्रदीप मिश्रा ने कहा कि "प्रत्येक रेंज को पंजीकृत जानवरों का सत्यापन करना है। साथ ही विदेशी जानवरों की पहचान कर वेटरनरी डाक्टरों की मदद से मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार करनी है। इसके बाद पूरी जानकारी मुख्यालय भेजनी है।"