इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि।
ट्रेनों में सफर के दौरान या हादसों में होने वाली मौत के बाद लाश रखने का कोई इंतजाम दो माह बीतने के बावजूद रेलवे और जीआरपी मिलकर नहीं कर सके। सफर के दौरान उप्र निवासी युवक की मौत होने के बाद उसकी लाश की आंखें चूहों ने कुतर डाली थी। यह मामला पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। इस घटना के बाद आला अफसरों ने निर्देश दिए थे कि इटारसी जंक्शन पर मर्च्यूरी रूम या प्लेटफार्म बनाया जाए। आनन-फानन में अधिकारियों ने निर्माण स्थल का सर्वे तो किया, लेकिन फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस घटना में सीधे तौर पर जीआरपी की लापरवाही सामने आई थी। जीआरपी चाहती तो अपने बजट से निर्माण करा लेती, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया, बल्कि अब लाशों को झोपड़ी की जगह रेलवे के बुकिंग ऑफिस परिसर में रखा जाने लगा है। कानूनन लाश को बुकिंग ऑफिस परिसर में रखना भी गलत है। चूंकि यहां मुसाफिरों की आवाजाही रहती है। खून से लथपथ क्षत-विक्षत और संक्रमित लाश यहां रखना लोगों की सेहत से खिलवाड़ करना है।
तबादले के बाद मामला ठंडाः
करीब दो माह पहले तत्कालीन एडीईएन मतीन खान ने जीआरपी थाना प्रभारी बीएस चौहान के साथ थाने के बाहर लाशें सुरक्ष्िज्ञत रखने के लिए निरीक्षण किया था, लेकिन खान का तबादला होने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लाखों-करोड़ों के प्रोजेक्ट में पैसे बहाने वाली रेलवे लाशों की सुरक्षा से जुड़े छोटे से काम को कराने में नाकाम रही है। यह साबित करता है कि मानवीय संवेदनाओं और लाशों के अधिकार को लेकर अफसर कितने संजीदा हैं। नवागत एडीईएन एके पांडेय का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी ही नहीं है, वे फाइल देखकर बताएंगे कि मर्च्यूरी रूम के मामले में क्या योजना बनाई गई थी।
परिजनों ने की थी शिकायतः
20 नवंबर की रात बैंगलुरू से आगरा जा रहे युवक की कर्नाटका एक्सप्रेस में मौत हो गई थी। नागला ताज थाना बरहान आगरा उप्र निवासी जितेंद्र पुत्र भीकम सिंह एस-9 कोच में बेसुध मिला था। रात में चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद जीआरपी ने लाश उठाने वाले कर्मचारियों की झोपड़ी में शव रखवा दिया। यहां रात में चूहों ने लाश की दोनों आंखें कुतर डाली थीं। इस घटना के बाद रेल मंत्रालय तक हड़कंप मच गया था। मृतक के परिजनों ने भी जीआरपी पर लापरवाही का आरोप लगाकर आला अफसरों को ट्विटर पर शिकायत की थी। एसआरपी हितेष चौधरी को भी इस मामले की जानकारी दी गई थी। उन्होंने भी माना था कि रेलवे जंक्शन होने की वजह से यहां लाशों को रखने का बेहतर इंतजाम होना चाहिए।
वर्जन
मैंने दो माह पहले ही ज्वाइन किया है। मर्च्यूरी प्लेटफार्म को लेकर क्या प्रस्ताव आया था, उसकी जानकारी लेंगे। जो प्रस्ताव लिया गया है, उसके तहत निर्माण कराया जाएगा। अभी तक जीआरपी से भी कोई खबर नहीं मिली।
एके पांडेय, एडीईएन रेलवे।
वर्जन
प्लेटफार्म बनाने के लिए रेलवे अधिकारियों ने जल्द काम शुरू कराने को कहा था, अभी तक काम हुआ नहीं है। इस संबंध में हम रेलवे अधिकारियों से दोबारा बात करेंगे।
बीएस चौहान, थाना प्रभारी जीआरपी।
वर्जन
इस घटना के बाद हमने तत्काल डीआरएम को शिकायत कर सभी बड़े स्टेशनों पर मर्च्यूरी रूम निर्माण की मांग रखी थी। आगामी बैठक में इस मुद्दे को लेकर शिकायत की जाएगी। रेलवे के लापरवाह अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। बुकिंग कार्यालय परिसर में भी लाश रखना ठीक नहीं है।
दीपक हरिनारायण अग्रवाल, रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति सदस्य।
Posted By: Nai Dunia News Network
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