इटारसी नवदुनिया प्रतिनिधि।

देश के बड़े रेल जंक्शन पर खानपान लाइसेंसी और वेंडर यात्रियों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्टेशन पर यात्रियों से मनचाहे दाम लेने के बावजूद उन्हें स्वादिष्ट और हाइजेनिक तरीके से खाना नहीं दिया जा रहा है। यात्रियों के लिए सब्जी, चाय और अन्य तरल पदार्थ स्टील कंटेनर की जगह प्लास्टिक केन में रखकर बेचे जा रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि गर्म खाद्य और पेय पदार्थ को इस तरह डिब्बों में रखने से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। केन में खानपान सामग्री रखकर बेचना तो ठीक है, ट्रेनें जाने के बाद वेंडर इन प्लास्टिक केन को गंदगी और संक्रमण के बीच नल स्टेंड और गंदी जगह पर रख देते हैं। यात्री कहते हैं कि इस तरह प्लास्टिक केन में तो मवेशियों को भी खाना नहीं दिया जाता, लेकिन यहां तो यात्रियों के साथ मवेशियों से भी ज्यादा बद्तर इतंजाम किए गए हैं। देश के रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव दावा करते हैं कि भारतीय रेलवे की कैटरिंग पालिसी में बदलाव कर रेलवे को एक नई दिशा दी जा रही है, लेकिन उनके दावे भी यहां बेमानी लगते हैं।

रेलवे और लाइसेंसी का मुनाफा यात्री लाचारः रेलवे की कैटरिंग पालिसी में ठेकेदारों को करोड़ों रुपये के टेंडर देकर जहां रेलवे चांदी काटती है, वहीं लाइसेंसी भी अपनी कमाई निकालने के लिए सारे हथकंडे अपनाकर नियमों को ताक पर रखकर मंडी की तरह स्टाल चलाते हैं, इधर तय कीमत से ज्यादा ओवरचार्जिंग का पैसा देकर भी यात्रियों को पौष्टिक और ताजा आहार नहीं मिलता। आईआरसीटीसी समेत निगरानी की कई व्यवस्थाएं करने के बावजूद रेलवे जंक्शन पर आहार व्यवस्था में सुधार नहीं आ रहा है।

हर स्टाल पर केन का धंधाः नवदुनिया टीम ने जब रेलवे प्लेटफार्र्मों पर संचालित स्टालों के हाल जाने तो पता चला कि हर स्टाल पर खानपान सामग्री इन्हें केन में रखी जाती है, इसमें सब्जी, चाय से लेकर अन्य सामान भी कारखानों से इन्हीं डिब्बो में कारखाने से लाया जाता है, इन्हीं डिब्बों में गर्म सब्जी घंटों रखी रहती है, ट्रेन का धंधा करने के बाद इन डिब्बों को शौचालय, नल स्टैंड ओर खुले प्लेटफार्म पर कहीं भी फेंक दिया जाता है, इन्हें ठीक से धोया तक नहीं जाता। नियमानुसार ट्रेनों के पेंट्री कार की तरह वेंडरों और लाइसेंसियों को स्टील कंटेनर या ड्रम का उपयोग करना चाहिए।

इसलिए करते हैं उपयोगः

दरअसल खाद्य तेल में आने वाली इन प्लास्टिक केन को हल्का होने के कारण यहां से वहां ले जाना आसान होता है, इनके गुमने या सुरक्षा का खतरा भी नहीं रहता, इस वजह से सारे लाइसेंसी इन डिब्बों का इस्तेमाल करते हैं। वेंडर कारखाने में तैयार चावल, सब्जी से लेकर चाय तक इसमें भरकर लाते हैं। गर्म पदार्थ घंटों डिब्बों में भरा होने से इनकी गुणवत्ता खराब होती है, लेकिन यात्रियों की सेहत से रेलवे और लाइसेंसी दोनों को कोई सरोकार नहीं रहता।

क्या अफसर खा सकते हैं यह खानाः

नवदुनिया इस खबर के माध्यम से यह कहना चाहता है कि क्या रेलवे के आला अफसर यात्रियों को इस तरह गंदगी और संक्रमित माहौल में बेची जा रही खानपान सामग्री का सेवन कर सकते हैं। निश्चित तौर पर अफसर ना ही कहेंगे, फिर क्या यात्रियों की सेहत इतनी ज्यादा सस्ती हो चुकी है कि इस तरह उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

रेलवे की फूड सेफ्टी जांच का प्रबंध नहीं:

मोटी लाइसेंस फीस देकर स्टाल चलाने वाले लाइसेंसी यात्रियों को बेचे जा रहे चाय, नाश्ते, चावल, अंडा बिरयानी, पुड़ी-भाजी, समोसे या अन्य खाद्य पदार्थो में किस गुणवत्ता का सामान उपयोग कर रहे हैं, इसकी जांच के लिए भी रेलवे के पास कोई प्रबंध नहीं है। जिस तरह प्रदेश सरकार का खाद्य औषधि प्रशासन अपनी फूड टेस्टिंग लैब में नमूने भेजता है, ऐसी कार्रवाई कभी रेलवे नहीं करता। नतीजा लाइसेंसी ठेकेदार मनमाने ढंग से अमानक और घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं, इनके कारखानों पर स्वच्छता के क्या इतंजाम हैं, कर्मचारी किस तरह से खाना तैयार करते हैं, इसकी निगरानी नहीं होती। नतीजा यात्रियों की जेब ढीली होने के बावजूद उन्हें पौष्टिक और ताजा आहार नहीं मिलता।

वर्जन

यह बात सही है कि प्लास्टिक कंटेनर में गर्म खाना रखकर बेचना गलत है। हम कार्रवाई करते हैं, कई बार इन्हें जब्त कर तोड़ दिया जाता है। मामले को लेकर सख्त आदेश जारी करेंगे।

विकास कुमार सिंह, मंडल वाणिज्य निरीक्षक।

वर्जन

स्वास्थ्य मानकों के मुताबिक अमानक प्लास्टिक केन या डिब्बों में इस तरह गर्म खाद्य पदार्थ नहीं रखे जाना चाहिए। सूखे उत्पाद तो रख सकते हैं, लेकिन गर्म सब्जी, चाय या तरल पदार्थ इसमें रखने से हानिकारक तत्व खाने में मिलते हैं। स्टील डिब्बों में ही खाना हाइजेनिक रखा जा सकता है, इससे खानपान सामग्री विषाक्त हो सकती है। डिब्बों की सफाई भी नहीं होने से संक्रमण हो सकता है।

डा. केएल जैसवानी, वरिष्ठ चिकित्सक।

वर्जन

आपके माध्यम से शिकायत मिली है, यात्रियों को इस तरह गंदे प्लास्टिक डिब्बों में रखकर खानपान सामग्री नहीं बेची जाना चाहिए, लाइसेंसी स्टील कंटेनर ही उपयोग करें, इस मामले में हम सख्ती से कार्रवाई कराएंगे। साथ ही इन डिब्बों का चलन पूरी तरह बंद कराया जाएगा।

प्रियंका दीक्षित, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक।

Posted By: Nai Dunia News Network

Mp
Mp