
नईदुनिया प्रतिनिधि, तेंदूखेड़ा। मध्य प्रदेश का जबलपुर संभाग शिक्षकों के हितों के लिए अपने खुद के बनाए नियमों पर चल रहा है। जिसके कारण जबलपुर संभाग के 7 जिलों के शिक्षक आर्थिक लाभ से वंचित हैं। संभाग में कार्यरत जिन माध्यमिक शिक्षकों की पदोन्नति उच्च माध्यमिक शिक्षक पद पर हो चुकी है। उन्हें अपने से जूनियर शिक्षकों से कम वेतन मिल रहा है। यह कारनामा जबलपुर संभाग के तत्कालीन संयुक्त संचालक की मनमानी और हठधर्मिता के कारण निर्मित हुई है।
दरअसल, इन शिक्षकों को 24 साल की सेवा पूरी होने के बाद भी द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है। जबकि इन्हीं शिक्षकों के साथ नियुक्त माध्यमिक शिक्षकों को द्वितीय क्रमोन्नत वेतनमान मिल जाने से सीनियर शिक्षकों का वेतन जूनियर से कम हो गया है। पदोन्नति प्राप्त करने वाले ऐसे शिक्षकों की संख्या नरसिंहपुर जिले में 47 और पूरे जबलपुर संभाग में 369 हैं।
इन शिक्षकों ने बताया कि मध्यप्रदेश के दूसरे संभागों में पिछले साल ही द्वितीय क्रमोन्नति आदेश जारी कर दिए गए हैं। जबकि जबलपुर संभाग के संयुक्त संचालक ने इन शिक्षकों के क्रमोन्नति आदेश रोक दिए थे। संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों का मानना है कि इन शिक्षकों को एक क्रमोन्नति और एक पदोन्नति मिल चुकी है। इसलिए दूसरी क्रमोन्नति नहीं मिल सकती।
दरअसल, शिक्षा विभाग के नियमानुसार शिक्षकों को दो उच्चतर वेतनमान ही मिल सकते हैं। जबकि लाभ से वंचित इन शिक्षकों का कहना है कि उन्हें पहली क्रमोन्नति के बाद पदोन्नति में उच्चतर वेतनमान नहीं मिला है । इस बात का उल्लेख उनकी सर्विस बुक में भी है। परन्तु विभागीय पदोन्नति समिति इस बात को नजरंदाज कर शिक्षकों को अनावश्यक परेशान कर उनके आर्थिक लाभ से बंचित कर रही है।
वर्ष 1998 में शिक्षाकर्मी वर्ग 2 के पद पर नियुक्त किए गए थे।2007 में इन शिक्षाकर्मियों का अध्यापक संवर्ग में संविलयन हुआ तो इन्हें अध्यापक पदनाम मिल गया।12 वर्ष पूर्ण होने पर शासन के नियमानुसार इन्हें 2010 में प्रथम क्रमोन्नति मिल चुकी है। इनमें से वरिष्ठता के आधार पर 2011 से 2015 तक इन शिक्षकों को पदोन्नति देकर वरिष्ठ अध्यापक तो बना दिया लेकिन इन्हें उच्चतर वेतनमान नहीं दिया। कुछ शिक्षकों को पदोन्नति पर वेतनमान मिला तो विभाग द्वारा इसे गलत मानकर इसकी रिकवरी कर दी।
2022 में पूरी होने के बाद भी आज दिनांक तक द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ नहीं मिला है। अब ऐसे तमाम शिक्षक लामबंद हो चुके हैं। बताया जाता है कि जबलपुर संभाग के इन शिक्षकों के द्वितीय क्रमोन्नति के आदेश रोके हुए हैं। जबकि भोपाल, रीवा, इंदौर, सागर संभागों में इन शिक्षकों को यह लाभ मिल चुका है। जबलपुर संयुक्त संचालक वेतनमान से संबंधित नियमों से अनजान बन लोक शिक्षण संचालनाल से मार्गदर्शन माग रहे हैं और वरिष्ठ अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
जबलपुर संभाग के नये संयुक्त संचालक से अब शिक्षकों को आश जगी है। अप्रैल 2025 को जबलपुर संभाग द्वारा भोपाल में बैठे अधिकारियों से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया है। जिस पर आयुक्त लोक शिक्षण ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कर मामले के परीक्षण के लिया था। परन्तु विभागीय अधिकारियों की मनमानी की वजह से 6 माह बाद भी इन शिक्षकों की द्वितीय क्रमोन्नति के संबंध में कोई मार्गदर्शन दिया गया है।
जिसके चलते इन शिक्षकों को करीब चार हजार रुपए प्रति माह का नुकसान हो रहा है। इस बारे में मध्य प्रदेश राज्य शिक्षक संघ के प्रांतीय प्रवक्ता नगेन्द्र कुमार त्रिपाठी का कहना है कि शिक्षक संघ के माध्यम से क्रमोन्नति के संबंध में डीपीआई के अधिकारियों को अवगत कराया गया है।जहां से शीघ्र ही उचित कार्यवाही करने को कहा गया है।