Vandebharat Train : जबलपुर नईदुनिया प्रतिनिधि। वंदेभारत ट्रेन को जबलपुर से चलाने की तैयारी फिर ठंडी हो गई है। यहां तक की जबलपुर से इंदौर के बीच वंदेभारत ट्रेन का संचालन और मरम्मत करने के लिए जिन कर्मचारियों का चयन किया गया, उन्हें भी भोपाल में वंदेभारत ट्रेन को चलाने में लगा दिया है। जबकि वंदेभारत ट्रेन चलाने की तैयारी जबलपुर मंडल ने पूरी कर ली थी। यहां तक की जबलपुर में रैक मेंटनेंस के लिए ट्रैक तैयार किया गया था। दूसरी ओर जबलपुर-इंदौर के बीच के ट्रेन को पुराने ट्रैक पर दौड़ाया जाएगा, जिसमें तकनीक स्तर पर कई बाधाएं आ रही हैंं । जानकार बताते हैं कि ट्रेन को अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाना है, ताकि सफर का समय कम हो सके, लेकिन जबलपुर मंडल के रैक पर 110 से 120 किमी की प्रतिघंटे की रफ्तार से ही ट्रेन चलाई जा सकती है। साथ ही जबलपुर मंडल के अधिकारियों का कहना है कि उम्मीद है कि एक माह में जबलपुर को वंदे भारत के रैक मिल जाए।

ट्राय के बाद ही तय होगी तिथि

भोपाल मंडल को मिली वंदेभारत ट्रेन को शनिवार से चलाने की तैयारी पूरी हो गई है। यहां तक की भोपाल-निजामुद्दीन के बीच ट्रेन का 160 किमी की रफ्तार से ट्राय भी पूरा कर लिया गया है, जो सफल रहा। इसके बाद इस ट्रेन को अब 160 किमी की रफ्तार से चलाया जा सकता है। इधर जबलपुर मंडल की सीमा में भी वंदेभारत ट्रेन को चलाने से पहले ट्राय होगा। इसके परिणाम भी यह तय करेंगे कि ट्रेन कब से और किस दिन चलेगी। हालांकि जबलपुर से इटारसी के बीच ट्रेनों की औसत रफ्तार को 60 से 80 किमी प्रति घंटे ही है। इस ट्रेन की औसत रफ्तार का बढ़ाना भी चुनौती बना है। यदि रफ्तार नहीं बढ़ी तो जबलपुर से इंदौर के बीच का सफर 10 घंटे से 6 से 7 घंटे पर लाना मुश्किल होगा।

जबलपुर का स्टाफ, भोपाल में कर रहा ट्रायल

जबलपुर रेल मंडल में वंदेभारत ट्रेन को चलाने के लिए जिन अनुभवी कर्मचारियों को यहां रखा गया, उन्हें भी भोपाल भेज दिया गया है। वे वहां भोपाल से निजामुद्दीन के बीच वंदेभारत ट्रेन के रैक का ट्रायल कर रहे हैं। अचानक भोपाल मंडल को वंदेभारत ट्रेन का रैक मिलने और ट्रेन चलाने के निर्णय से जबलपुर के लोग निराश हैं। यहां तक की अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इसका विरोध नहीं किया है। हालांकि पश्चिम मध्य रेलवे जोन की यात्री सेवा समिति के सदस्य सुनील मिश्रा ने इसको लेकर अपत्ति की है। उनका कहना है कि एक बार फिर जबलपुर का हक मारा गया, जबकि यहां पर ट्रेन चलाने की तैयारी पूरी कर ली गई थीं।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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