जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। अपनी किसी न किसी गलती के कारण बाल संप्रेक्षण गृह में रह रहे बच्चे समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए कई सारे काम कर रहे हैं। इन बच्चों में भी कुछ अच्छा और नया करने का जज्बा पलता है। बस उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है। यदि उन्हें प्यार से समझाते हुए कुछ सिखाया जाए, तो वे हर क्षेत्र में बेहतर करने की कोशिश करते हैं। शहर के बाल संप्रेक्षण गृह में बच्चों को एक सही दिशा दिखाने की उम्मीद के साथ शहर के कुछ युवाओं ने इनके साथ वक्त बिताना शुरू किया और इन्हें विभिन्न कलाओं को सिखाने का काम शुरू किया। इन्हें विभिन्न कलाओं में निपुण करने का विचार इतना सार्थक रहा कि ये बच्चे दिवाली में मिट्टी के दिए बनाते हैं, तो कभी पॉलीथिन का इस्तेमाल न करने का संदेश देते हुए पेपर बाग बनाते हैं। आर्ट एंड क्राफ्ट में भी ये काफी अच्छा काम कर रहे हैं। बाल संप्रेक्षण गृह के यहां पर रहते हुए कई ऐसे काम कर रहे हैं, कि जब वे यहां से बाहर निकलेंगे तो ये स्वरोजगार से जुड़ सकेंगे। हाल ही में इनके लिए स्पोकन इंग्लिश, गोबर के दीया बनाने के साथ ही कुकिंग क्लास भी शुरू की गई है। जिसमें ये सभी बच्चे काफी अच्छा कर रहे हैं।
बच्चों की मानसिक स्थिति को समझा: शहर की अवनि नगरिया ने बताया कि इन बच्चों के साथ शुरूआत के दिनों में वक्त बिताना बेहद कठिन होता था। ये बच्चे आसानी से किसी के साथ घुलते मिलते नहीं है। इन्हें हर पल यही लगता है कि इनसे अपराध हुआ है जिसकी सजा इन्हें मिल रही है। इनके मन में उम्मीद जगाने का काम इतना आसान नहीं था। कई दिनों तक इनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। वक्त लगा, लेकिन हार नहीं मानी। उनके साथ वक्त बिताने के बाद समझ में आया कि उनसे किसी ने कभी प्यार से बात ही नहीं कि जिससे वे कभी किसी से खुलकर बात कर पाते। इसी तरह से उन्हें विभिन्न कलाओं को सिखाने की शुरूआत हुई और वे धीरे-धीरे विभिन्न कलाओं में रम गए।
गोबर के दीया, मास्क, कुकिंग में हो रहे निपुण: बाल संप्रेक्षण गृह के हाउसमास्टर अनुज शर्मा ने बताया कि इन बच्चों को यहां पर विभिन्ना कलाओं को सिखाने के साथ ही इनके व्यवहार पर भी खास ध्यान दिया जाता है ताकि ये जब यहां से बाहर जाएं तो समाज इन्हें अपना सके। ये स्वरोजगार से जुड़ सकें। इन तमाम प्रशिक्षणों के बेहतर परिणाम सामने आए है। 1 माह पहले गोबर के दीया बनाने का प्रशिक्षण, हफ्ते में एक दिन स्पोकन इंग्लिश, कुकिंग प्रशिक्षण शुरू किया गया है। कोरोना काल में बाहर के प्रशिक्षणार्थियों का आना प्रतिबंधित किया, लेकिन फिर एक बार ये सारे प्रशिक्षण शुरू किए गए हैं। कोरोना काल में बच्चों ने मास्क भी बनाए।
Posted By: Ravindra Suhane
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