Current Column in Jabalpur : नगर सत्ता में अध्यक्ष बनाने के फार्मूलों से राजनीतिक हलचल पैदा हो गई। मामला कांग्रेस के कमल नाथ का इशारा होने के बाद से बिगड़ा। जो कांग्रेस निगम अध्यक्ष को लेकर खामोश थी। वहां शपथ के बाद सदन में भी दबदबा कायम करने की रणनीति बनने लगी। कांग्रेस में प्रदेश के मुखिया की तरफ से भी स्थानीय नेताओं को पार्षदों से संवाद के जरिए गुणा-भाग करने की छूट दी गई। कांग्रेसी सक्रिय भी हुए, लेकिन भला हो कांग्रेसी नेता का जिसने भाजपा के वरिष्ठ नेता को यह राज जाहिर कर दिया। नेता के घर पिछले दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष चाय, नाश्ता करने पहुंचे थे, नेता ने संगठन तक यह खबर पहुंचाई। फिर क्या था पार्टी ने भी बिना हीलाहवाली किए पार्षदों को शपथ में ही कपड़ों की पोटली साथ लाने को कहा गया, ताकि उन्हें घर वापस ले जाने के बजाय सीधे सभी को अज्ञात स्थल पर ले जाया जा सके।

एमआइसी की चाह में निर्दलीय हुए साथ-

नगर निगम अध्यक्ष के निर्वाचन में सत्ताधारी दल कांग्रेस के साथ निर्दलीय नजर आए। भाजपा संगठन पहले जिस एक निर्दलीय को अपना समर्थक होने का दावा कर रही थी, उस निर्दलीय से भी चुनाव के वक्त पार्टी को साथ नहीं मिला। भाजपा ने बहुमत के लिहाज से नगर निगम सदन में अपना अध्यक्ष तो निर्वाचित कर लिया है, लेकिन निर्दलीय पार्षदों का वोट कांग्रेस प्रत्याशी के खाते में गया। खबर है कि निर्दलीय जो भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरे थे। इन्हें भाजपा अपनी विचारधारा का मान रही थी, उन पार्षदों को भी एमआइसी में जगह देने का वादा हुआ था, जिसके बाद निर्दलीयों ने भी नगर सत्ता के साथ जाने में ही भलाई समझी। अब देखना हैं कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए समर्थन करने वालों का सम्मान होता है कि नहीं। इधर, शहर के इकलौते पार्टी विधायक का कद भी इस उपलब्धि ने बढ़ा दिया है।

बिजली हादसों से डरे अफसर

अस्पतालों में जिस तरह अग्नि हादसे शार्ट सर्किट की वजह से हो रहे हैं, उससे अफसरों में दहशत बनी हुई है। लोड से लेकर केबल तक की सप्लाई को लेकर अंदरूनी स्तर पर जांच करवाई जा रही है कि कहीं किसी इलाके में लोड बढ़ने की समस्या न आए। इसी दहशत में अफसरों ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लोड की जांच शुरू कर दी है, ताकि जहां भी कम लोड हो वहां पर्याप्त बिजली का लोड दिया जाए। ये पूरी कवायद बिजली की सप्लाई सही करने के लिए हो रही है। वहीं उपभोक्ता पुराने ढर्रें में चलकर कम भार में अधिक बिजली जलाने पर अमादा है। वे अफसरों को इसके लिए सेवा शुल्क भी देने तैयार हैं लेकिन कई अफसर सेवा का मेवा खाने से कतरा रहे हैं। अफसरों के सामने हाल ही में हुए अग्नि हादसे का भयावह दृश्य मौजूद है, जिसके बाद किसी की हिम्मत जोखिम उठाने की नहीं है।

सीएम राइज से मोह भंग

प्रदेश के सरकारी स्कूलों की सूरत और सीरत बदलने के लिए सीएम राइज स्कूल खुले। इन्‍हे दूसरे सरकारी स्कूलों की तुलना में बेहतर संसाधन और सुविधायुक्त संस्थान बनाया गया है। जिसके लिए विशेष योग्यताधारी शिक्षकों को प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ा। शिक्षकों ने योजना आने से पहले सोचा कि योग्यता को विशेष सेवा सम्मान से नवाजा जाएगा, लिहाजा भर्ती के लिए कई दावेदार खड़े हुए। प्रक्रिया तक में शामिल भी हुए लेकिन बाद में जब पता चला कि सेवा सम्मान के लिए कोई विशेष राहत नहीं है, ऐसे में शिक्षक भी सीएम राइज के कायदों को भांप चुके थे। समय की बंदिश और गुणवत्ता के पैमाने देखकर कई शिक्षकों ने इसमें पढ़ाने के लिए खुद को अपात्र मानते हुए परंपरागत स्कूलों में पदस्थ रहना ही बेहतर समझा। अब विभाग ऐसे शिक्षकों को बार-बार बुला रहा है लेकिन शिक्षक यहां आना नहीं चाह रहे हैं जो आ चुके वो उल्टा जाने की जुगत में जुटे हैं।

Posted By: tarunendra chauhan

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