जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। डायबिटीज खतरनाक बीमारी है। इसके प्रभाव से मरीज मुंह की मिठास तो खो ही देते हैं साथ ही शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं। शरीर के किसी भी अंग पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, परंतु आंखों और किडनी पर इसका असर सबसे ज्यादा और पहले होता है। डायबिटीज के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता जाता है, इससे आंखों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. पवन स्थापक का कहना है कि आमतौर पर डायबिटीज बढ़ने के साथ-साथ रोगी के चश्मे का नंबर बढ़ता जाता है। और कई बार तो यह स्तर अंधेपन तक पहुंच जाता है। डायबिटीज के प्रभाव से आंखों में होने वाली परेशानी को डायबिटीक रेटिनोपैथी कहते हैं। डायबिटीक रेटिनोपैथी एक बीमारी है, जो मधुमेह डायविटीज से पीड़ित व्यक्ति की रेटीना (आंख का पर्दा जहां तस्वीर बनती है) को प्रभावित करती है। यह रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन रक्त नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज न कराया जाय तो पीड़ित व्यक्ति अंधेपन का शिकार हो सकता है। डायबिटिक रेटिनापैथी दुनिया मे अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है जिसके मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। डायबिटीज के कारण जब इंसुलिन नही बन पाता या कम बनता है तो ग्लूकोज़ कोशिकाओं में नहीं जा पाता और खून में घुलता रहता है। इसी कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। यही खून शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचता है। हाई शुगर के साथ रक्त जब लगातार फ्लो करता है, तो इससे रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। और उनसे खून बाहर निकल सकता है। आंखों की रक्त नलिकाएं शरीर में सबसे ज्यादा नाजुक और महीन होती है। इसलिए ये सबसे पहले प्रभावित होती है। इन नलिकाओं में खराबी के कारण रेटिना तक पोषक तत्व और आक्सीजन नहीं पहुंच पाते है, और रेटिना के काम में बाधा पहुंचती है। रक्तनलिकाओं के फटने से रिसने वाला रक्त कई बार रेटिना के आसपास इकट्ठा होता रहता है। जिससे आंखों में (ब्लाइंड स्पाट) भी बन सकता है। और रेटिना में सूजन पैदा हो जाती है। डायबिटीक रेटिनोपेथी अक्सर तब पता चलती है जब गंभीर रूप ले लेती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को समय समय पर आंखों की जांच करानी चाहिए।

Posted By: Jitendra Richhariya

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