जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में चना फसल पर शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि अधिष्ठाता कृषि संकाय, डॉ. धीरेंद्र खरे ने कहा कि चना के आनुवांशिक स्तर पर सुधार की असीम संभावना हैं। चने में लगने वाले विभिन्न रोगों पर प्रतिरोधक किस्मों को विकसित करने और मैकेनिकल हार्वेस्टिंग के लिए उन्नत किस्मों को बनाने पर जोर दिया जाए।
संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. जीके कौतू ने चना से जुड़े शोध और मौजूदा चुनाैतियों पर अपनी बात रखी। संगोष्ठी में सेंटल जोन के 16 केंद्रों के चना विज्ञानिकों ने अपने 4 वर्षों के शोध कार्यों का जानकारी को विस्तार से रखा।
संगोष्ठी में चना अनुसंधान की समीक्षा के लिए भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. जी.पी. दीक्षित द्वारा गठित समिति की गई, जिसमें अध्यक्ष डॉ. एसके शर्मा, पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर एवं क्यूआरटी के सदस्य डॉ. डीपी सिंह, डॉ. डीके शर्मा, डॉ. डीवी आहूजा और डॉ. पीकुमार ने आनलाइन अपने अनुभवों को रखा। इसके साथ चना अनुवांशिकी और सुधार पर विवेचना की।
विभागाध्यक्ष पौध प्रजनन एवं आनुवंशिकी विभाग डॉ. आरएस शुक्ला ने क्यूआरटी के आयोजन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली द्वारा विश्वविद्यालय के चयन का आभार व्यक्त किया। चना विज्ञानिक डॉ. अनीता बब्बर द्वारा विश्वविद्यालय में चल रहे चना अनुसंधान कार्यों की विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की गई।
इन पर दिया जोर
- चने की रोग प्रतिरोधक किस्मों को विकसित करने पर
- बायो फोर्टिफाइट किस्मों के शोध करने पर जोर
- मैकेनिकल हार्वेस्टिंग के लिए उन्नत किस्मों को तैयार करना
- चने पर लगने वाले विभिन्न रोगों पर प्रतिरोधक किस्मों को विकसित करना
आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार
राजाशंकरशाह, रघुनाथ शाह प्रतिमा स्थल माल गोदाम में कांग्रेस के पूर्व विधायक नन्हें लाल धर्वे की अध्यक्षता प्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार पर चर्चा हुई। इस दौरान नन्हें लाल ने कहा कि मंडला जिले के मोहगांव में तीन आदिवासियों की जघन्य हत्या से उपजे असंतोष और आक्राेश है। इसको लेकर आदिवासी और सामाजिक संगठनों की बैठक की गई। इस दौरान नेम सिंह मरकाम, डीए कोरचे, सरमन रजक, रमेश बोहित आदि ने इस पर विस्तार से चर्चा की।
Posted By: Mukesh Vishwakarma
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