nagar sarkar : नगर सरकार : सुनील दाहिया : इंदौर और भोपाल स्वच्छता में तो आगे है ही परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने मे भी अव्वल है। इंदौर-भोपाल के सामने जबलपुर अब भी कस्बा ही है। ये कस्बाईपन यहां के कर्णधार और सफेदपोशों की उदासीनता और अकर्मणता के साथ ही नागरिकों के छोटी सोच का नतीजा है। अपनी परिवहन क्षमताओं व सुविधाओं को बढ़ाते हुए इंदौर-भोपाल के बीच जहां इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू कर दी गई वहीं अब स्मार्ट सिटी ने भोपाल के नागरिकों के लिए ई-बाइक सेवा भी शुरू कर दी। एक जबलपुर हैं जहां साइकिल सेवा तक नहीं चल पाई। सायकिल शेयरिंग सेवा के तहत स्मार्ट सिटी जबलपुर ने हैक्सी साइकिल से अनुबंध कर 300 सौ से ज्यादा साइकिलें शहर में रखावाई थी 50 से ज्यादा हैक्सी स्टेशन बनवाए थे लेकिन यहां नागरिकों की छोटी सोच ऐसी रही कि सायकिल तक चोरी करने से नहीं हिचके जबकि ये पता था कि ये सायकिल काेड से लैस है।

शिकायत का समाधान हो या न इनकी बला से -

सरकारी कार्यालयों की तरह लाल बिल्डिंग में भी हर मंगलवार जनसुनवाई की जाती है। नागरिक भी अपनी समस्याओं का पुलिंदा लेकर पहुंच रहे हैं, पर जनसुनवाई में उनकी शिकायत, समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा। कई पीडि़त तो ऐसे हैं जो 10-15 बार शिकायत दे चुके पर समाधान आज तक नहीं हुआ। होगा भी कैसे क्योंकि लाल बिल्डिंग में जनसुनवाई की सिर्फ औपरचारिकता निभाई जा रही है। निगमायुक्त ने जहां आज तक जनसुनवाई कक्ष में बैठकर जनता की समस्याएं नही सुनी वहीं उनके अधिनस्थ भी इससे दूरी बनाए रहे। हालांकि उपायुक्त, सहायक आयुक्त जरूर कभी-कभार जनसुनवाई करते रहे, पर वर्तमान में तो ये भी सुनवाई नहीं कर रहे, इनकी जगह स्थापना विभाग के अधिकारी को बैठाकर सुनवाई की रस्मअदायगी की जा रही है। वे भी बाबू की तरह शिकायतों को संबंधित विभाग के लिए अग्रेसित देते हैं फिर चाहे शिकायत का निराकरण अथवा न हो उनकी बला से।।

पूर्व को भी सौगातें की झड़ी का है इंतजार-

जो कहा वो किया और करते रहेंगे के ध्येय के साथ महापौर आगे बढ़ रहे हैं। फिर चाहे वो चुनाव के दौरान की गई नर्मदा के शुद्धिकरण की घोषणा हो या जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र घर बैठे पहुंचाने की। अब महापौर ने लाल बिल्डिंग में एकल खिड़की की व्यवस्था कर 24 घंटे में मकान-दुकान का नक्शा पास कर उपलब्ध कराने की बात कही है, उम्मीद है इस पर भी वे सटीक बैठेंगे। विपक्ष में बैठे नेताओं को ऐसा कोई मौका नहीं दे रहे जिसे वे भुना सके। ये अलग बात है कि विपक्ष के नेता ‘वेट एंड वाच’ की स्थिति में हैं। फिलहाल नगर सत्ता के कार्य संभालते ही सड़कों की माली हालात में सुधार दिखने लगा है, विकास कार्यों के भूमिपूजन की झड़ी भी लग गई है। ये झड़ी सभी विधानसभा क्षेत्रों में नजर आएगी खासतौर से पूर्व विधानसभा में क्योंकि ये दलित बाहुल्य ये क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।

आखिर हो गई निगमायुक्त की विदाई-

लाल बिल्डिंग के कर्मचारियों के मन मुराद पूरी हुई। अंतत: निगमायुक्त की विदाई हो ही गई। उन्हें जबलपुर से हटाने कर्मचारी संगठन लामबंद था। ये अलग बात है कि निगमायुक्त इस ओहदे तक पहुंच गए हैं कि आने वाले समय में वे उसी ओहदे के साथ जबलपुर की कुर्सी संभाल लें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, और तब उनके काम करने के तरीकों से वाकिफ काम न करने वाले प्रवृत्ति के मातहतों की मुसीबत बढ़ सकती है। बहरहाल इसमें अभी काफी वक्त लगेगा अभी तो कर्मचारी प्रसन्नचित की मुद्रा में आ गए हैं? जैसे कि उन्होंने कोई जंग जीत ली है। अब लाल बिल्डिंग के गलियारों में नए साहब को लेकर चर्चा है कि अब अगला कौन होगा? क्योंकि अभी तक नाम तय नहीं हुआ है लेकिन इतना जरूर है कि लाल बिल्डिंग की कमान जो भी संभालेगा कर्मचारियों से बनाकर चलेगा क्योंकि चुनाव बहुत करीब है।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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