जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पांचवी अभिव्यक्ति वार्षिक कला प्रदर्शनी का आयोजन 28 से 30 मई तक रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में किया जाएगा। इस समूह कला प्रदर्शनी में चित्रकला, मूर्ति कला, रि-साइकिल लेम्प का प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शनी की मूल थीम रचनात्मक विचार की एक आत्म अभिव्यक्ति है। इस प्रदर्शनी को क्रिएटिव कला क्यूरेट कर रही है। प्रदर्शनी का उद्घाटन वरिष्ठ चित्रकार सुरेश श्रीवास्तव करेंगे और विशिष्ट अतिथि संतोष तिवारी होंगे।
प्रदर्शनी का समापन 30 मई को एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक व केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के महासचिव राजीव गुप्ता के मुख्य आतिथ्य में होगा। प्रदर्शनी में अनूप श्रीवास्तव, स्व. महेश नारायण श्रीवास्तव, अभय सोंधिया, अमित कुमार सिन्हा, आकाश जाटव, हरीश गुप्ता, प्रगति पटेल, प्रीति देवी, रितिका नामदेव, राज गोस्वामी, संचिता सांत्रा गुप्ता, श्रेयांस विश्वकर्मा, सूर्यांश नीखरे, स्वाति भावेदी, उज्जवल ओझा व विष्णु गंगाराम के चित्र, मूर्ति व रि-साइकिल लेम्प प्रदर्शित होंगे।
साहित्य है समाज की शक्ति
श्रेष्ठ साहित्य समाज के विकास का आधार है,यही समाज की रचनात्मक शक्ति है। साज जबलपुरी ने संगठन एवं सृजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करते हुये समाज को दिशा दी । तदाशय के उद्गगार राष्ट्रीय संस्था वर्तिका के तत्वावधान में आयोजित साज स्मृति सम्मान एवं काव्य महोत्सव में अतिथियों ने व्यक्त किये। गोलबाजार शहीद स्मृति मेले में आयोजित समारोह की अघ्यक्षता जादूगर एस.के. निगम ने की। मुख्य अतिथि व्यंग्यशिल्पी प्रतुल श्रीवास्तव,विशिष्ठ अतिथि विजय जायसवाल, डा. विजय तिवारी किसलय थे। प्रारम्भ में समारोह के संयोजक विजय नेमा अनुज, वर्तिका के अध्यक्ष सुशील श्रीवास्तव एवं राजेश पाठक प्रवीण ने आयोजन पर प्रकाश डाला। समारोह में साज स्मृति सम्मान से प्रार्थना अर्गल,अशोक झारिया शफक, यूनुस अदीब, मिथलेश नायक एवं डॉ.गीता गीत को अलंकरण, शाल, श्रीफल से उनकी सृजनात्मक सेवाओं के लिये सम्मानित किया। द्वितीय सोपान में यशोवर्धन पाठक, प्रभा विश्वकर्मा, डॉ.छायासिंह, प्रभा बच्चन श्रीवास्तव, प्रभा खरे, डा. सलमा जमाल, अस्मिता शैली, आलोक पाठक, संतोष दुबे, ज्योति मिश्रा सहित अतिथियों एवं सम्मानितजनों ने काव्य रस वर्षा की। अतिथि स्वागत अनुदित साज,रमाकांत गौतम,भीमसिंह दीवान ने किया। संचालन राजेश पाठक प्रवीण आभार प्रभा विश्वकर्मा शील ने किया।
Posted By: Mukesh Vishwakarma
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