जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। विश्व कांचियाबिंद यानि कांचबिंदु सप्ताह प्रतिवर्ष मार्च के दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनमानस में इस गंभीर रोग के बारे में जागरूकता लाना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग डा. परवेज अहमद सिद्धिकी ने बताया कि यह गंभीर रोग पूरे विश्व में 120 लाख लोगों में अपने पैर पसार चुका है। विश्व में 1.5 से 2.5 प्रतिशत मनुष्यों में यह बीमारी पाई जाती है। समय की मांग है कि इस गंभीर रोग की अतिशीघ्र पहचान व निदान कर इसे फैलने से रोका जाए। इस रोग के निदान के लिए विश्व कांचबिंदु संघ एवं विश्व कांचबिंदु मरीज समिति के संयुक्त प्रयास से विश्वभर में आम जनमानस को नेत्र जांच के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि ऐसे कांचियाबिंद मरीजों का पता लगाया जा सके जिनमें ये रोग अपने प्राथमिक स्तर पर हो एवं उनकी नेत्र ज्योति क्षीण होने से समय पर बचाया जा सके। कांचियाबिंद एक तंत्रीकीय रोग है जिसमें नेत्र के आंतरिक दबाव की अकल्पनीय वृद्धि हो जाती है। आंख की नस शनैः-शनैः सूखने लगती है और मरीज को असामयिक नेत्र ज्योति की गंभीर क्षति होती है। इस रोग के मुख्य लक्षण बल्ब के चारों तरफ इंद्र धनुषीय प्रकाश दिखना, नेत्रों का लाल हो जाना, सिर में भीषण दर्द होना एवं निकट दृष्टि का अत्यधिक समय पूर्व एवं तीव्र गति से क्षय होना एवं निकट देखने के चश्मे का नम्बर शीघ्र बदल जाना है। यह रोग मुख्यतः 40 वर्ष के बाद पाया जाता है पर ये किसी भी उम्र में पैर पसार सकता है। इस वर्ष विश्व कांचबिंदु सप्ताह की थीम है संसार बहुत सुंदर है एवं नेत्र ज्योति की क्षति को हर परिस्थिति में बचाइए। प्रत्येक मनुष्य को नियमित रूप से नेत्रों की जांच करानी चाहिए। साथ ही नेत्र खिंचाव करने वाले उपकरण जैसे मोबाइल एवं कंप्यूटर का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। खान-पान में पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। रोगियों को कांचबिंदु का नियमित उपचार करना चाहिए ताकि नेत्र ज्योति की क्षति को बचाया जा सके। मुख्यतः ऐसी दवाइयों का सेवन किया जाता है जिससे नेत्र के आंतरिक दबाव को समय पर घटाया जा सके। तमाम मरीजों में शल्यक्रिया का उपयोग किया जाता है। कांचबिंदु एक गंभीर रोग है तथा इसका समय रहते उपचार कराना अति आवश्यक है।
Posted By: Jitendra Richhariya