High Court Jabalpur : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट में याचिका के जरिये पीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम व पीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ प्रारंभिक सुनवाई के बाद सामान्य प्रशासन विभाग व मप्र लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। अगली सुनवाई एक फरवरी को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता राजधानी भोपाल निवासी ओमप्रकाश पचौरी की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने सात अप्रैल, 2022 को पीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम जारी करने के निर्देश दिए थे। पीएससी व सरकार ने 10 अक्टूबर 2022 को संशोधित परिणाम दो भागों में जारी किए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर के अनुसार भाग-अ में 87 प्रतिशत अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, जबकि प्राविधिक भाग-ब में 13 प्रतिशत ओबीसी व 13 फीसदी अनारक्षित अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है। इस प्रकार कुल आरक्षण 100 प्रतिशत से ऊपर हो गया है। 20 अक्टूबर 2022 को पीएससी 2021 के प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम भी इसी तरह घोषित किया गया है। मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जारी उक्त परिणाम असंवैधानिक है व राज्य परीक्षा सेवा नियम-2015 के प्रविधानों के विपरीत है। इसीलिए चुनौती के योग्य है।
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