जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। छावनी परिषद का संपूर्ण क्षेत्र एक परिवार की तरह है। यहां के रहवासियों में बड़ी आत्मीयता है। वो भाई-भाई की तरह रहते हैं। लेकिन केंट चुनाव के लिए तैयार हुई मतदाता सूची से 24 हजार मतदाताओं के नाम गायब हैं। इसलिए एक भाई वोट दे और दूसरा अपने मताधिकार से वंचित रहे, ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। यह कहना रहा अभिषेक चौकसे चिंटू का। वे पत्रकारों से चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि काटे नामों को पुन: मतदाता सूची में जोड़ने की लड़ाई देश के सभी केंट बोर्डों में पहुंच चुकी है।

चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने का किया स्वागतः

पूर्व केंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे ने सरकार द्वारा चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव पर रोक लगने से खुश नहीं है, लेकिन मतदाता सूची से नाम कटने की वजह से व्यथित केंट वासियों की भावनाओं की वो लड़ाई लड़ रहे हैं। जब तक सूची से बाहर नामों को वापस नहीं जोड़ा जाता तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। अभिषेक चौकसे के मुताबिक एक्ट की धारा 10(सी) में एक शब्द ‘आर्डनरी’ जोड़कर सारी समस्या काे समाप्त कराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक चर्चा ऐसी भी चल रही है कि केंट के सदर बाजार क्षेत्र को नगर निगम क्षेत्र में जोड़ा जा सकता है, लेकिन उनकी केंद्र सरकार से मांग है कि केंट बोर्ड क्षेत्र में बंगलों-बगीचों को भी निगम क्षेत्र में शामिल किया जाए। इस तरह से अगर होता है तो संपूर्ण छावनी क्षेत्र का निगम में विलय हो।

पूरे देश के कैंट बोर्ड के चुनाव प्रक्रिया पर लग गई रोकः

ज्ञात हो कि दो दिन पूर्व रक्षा मंत्रालय ने केंट बोर्ड के निर्वाचन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। दरअसल क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मतदाता सूची से नाम काटे जाने को लेकर आपत्ति ली गई थी जिसकी जांच के बाद चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।

Posted By: Jitendra Richhariya

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