जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सरकार का कार्यकाल और काम करने की मियाद पूरी होने से पहले सरकार अधिक से अधिक ऐसे प्रयास करने की कोशिश कर रही है, जिनसे आम आदमी को लाभ हो सरकार उसका विश्वास जीत पाए। अनेक प्रकार की योजनाओं काे जमीन पर उतारने की तैयारी है। दूसरी तरफ जिस अमले के बूते आमजन की सहूलियत बढ़ाने का सपना सरकार देख रही है, वही मैदान छोड़ आंदोलन करने आमादा है। इससे सरकार की सेहत बिगड़ने के साथ ही आमजन की भी समस्या बढ़ने की आशंका है। बात महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओंं की हो या तहसीलदार-नायब तहसीलदार और भू-अभिलेख अधीक्षक की, सभी से आमजन का सीधा सरोकार है। इसी तरह से आशा और उषा कार्यकर्ता-पर्यवेक्षक भी हड़ताल पर हैं। रोजगार सहायक भी हड़ताल पर चले गए हैं। जबकि ग्राम पंचायतों के सचिव 20 मार्च से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।

हड़तालियों का अंकगणित:

अगर महिला बाल विकास विभाग की बात करें तो जिले के 13 सहित प्रदेश के करीब 800 सीडीपीओ और लगभग तीन हजार पर्यवेक्षक हड़ताल पर हैं। इनके साथ ही करीब सवा लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका आंदोलनरत हैं। इसी प्रकार आशा-उषा और सहचारिकाओं की संख्या लगभग 80 हजार है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से 23 हजार पंचायतों के रोजगार सहायक हड़ताल पर जा चुके हैं, जबकि लगभग इतने ही पंचायत सचिव 20 मार्च से जाने की तैयारी में हैं। इनके अलावा राजस्व विभाग के 768 तहसीलदार और लगभग ढाई हजार नायब तहसीलदार और 25 एसएलआर हड़ताल की तैयारी मे हैं।

इस तरह से पड़ेगा प्रभाव:

राजस्व अधिकारियों के अवकाश या हड़ताल पर जाने से राजस्व न्यायालयों के काम ठप पड़ जाएंगे। नामांतरण, डायवर्सन, फौती, सहित अन्य कार्यों का सीधा संबंध आम आदमी से है। तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की लागिन आइडी से आगे बढ़ाए जाने वाले कार्य निचले स्तर पर ही अटके रह जाएंगे। इसी तरह से महिला एवं बाल विकास विभाग की हड़ताल से आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की प्री-स्कूल की शिक्षा बंद हो गई है। उनको पोषण आधार मिलना बंद हो चुका है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के अनुमोदन बंद पड़े हैं। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना का लाभ नहीं मल पा रहा है। लाड़ली बहना योजना के सर्वे का काम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं काे करना था, वह भी बंद हो गया है।

इन्होंने यह कहा..

सरकार वर्षों से राजस्व अधिकारियों की मांगों की अनदेखी कर रही है। प्रदेश के तमाम राजस्व अधिकारी एकजुट हैं। चरणवार आंदोलन की रूपरेखा तैयार है। इस बार बिना ठोस हल निकले कदम पीछे नहीं करेंगे।

-प्रदीप मिश्रा, जिलाध्यक्ष राजस्व अधिकारी एसोसिएशन

सरकार की ओर से यह जाहिर कर रही है कि हड़ताल से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। जबकि वास्तव में काम अटकने लगे हैं। सभी अधिकारियों ने लागिन आइडी बंद कर दी हैं, जिससे काम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

-सतीश पटैल, प्रांतीय महासचिव, सीडीपीओ संघ

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