High Court Jabalpur : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट ने एक याचिका का यह स्वतंत्रता देते हुए पटाक्षेप कर दिया कि यदि याचिकाकर्ता एम्स, नागपुर के मूल्यांकन के परिणम से संतुष्ट नहीं है, तो वह एम्स, दिल्ली से जांच कराने स्वतंत्र है। हम उससे मिलते-जुलते मामले में पूर्व में इंदौर बेंच द्वारा पारित आदेश के अनुरूप उसके हक में आदेश पारित करने बाध्य नहीं हैं।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता भोपाल निवासी प्राशिता गुप्ता की ओर से अधिवक्ता मृदुल कुमार विश्वकर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता आरटी इंफैंटाइल सेरेब्रल पल्सी से पीड़ित है। सामान्य वर्ग की आवेदक के रूप में उसने नीट परीक्षा दी। जिसमें चयन के आधार पर उसे मेडिकल कालेज, जबलपुर में प्रवेश लेने के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने कहा गया। लिहाजा, उसने एम्स, नागपुर से जांच कराई। जिसने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया कि वह अपनी गंभीर बीमारी के कारण एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए पात्र नहीं है। यदि वह एम्स, नागपुर के मूल्यांकन के परिणाम से संतुष्ट नहीं है, तो एम्स, दिल्ली में दोबारा मूल्यांकन का आवेदन कर सकती है। किंतु याचिकाकर्ता ने ऐसा न करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उसने हाई कोर्ट की ही इंदौर बेंच द्वारा उससे मिलते-जुलते एक मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में पारित आदेश का हवाला देकर राहत पर बल दिया। हाई कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद उसकी याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि उसके पास एम्स, नागपुर के मूल्यांकन परिणाम को अपील के जरिए एम्स, दिल्ली में चुनौती देने का विकल्प मौजूद है। लिहाजा, वह यह प्रक्रिया पूर्ण करने स्वतंत्र है।

Posted By: Jitendra Richhariya

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