जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हत्या के एक मामले में ट्रायल कोर्ट में ठीक से पैरवी न किए जाने के मामले को गंभीरता से लिया। इसी के साथ कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अहादुल्ला उस्मानी को नियुक्त किया।
उन्होंने मामला अपने पास आने के बाद नए सिरे से बहस की तैयारी शुरू कर दी है। नए सिरे से समस्त दस्तावेजों की जांच की जा रही है। ट्रायल कोर्ट के पूरे रिकार्ड की जांच हो रही है। प्रत्येक बिंदु को गंभीरता से लेकर कानूनी प्रक्रिया के तहत परखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कानून की साफ मंशा है कि भले ही 99 गुनहगार छूट जाएं पर एक बेगुनाह को सजा न हो। इसी आधार पर मामले की तैयारी जारी है।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में निचली अदालत से आजीवन कारावास से दंडित एक कैदी के मामले में संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने कहा था कि अपीलकर्ता को विधिक सहायता से पैरवी के लिए मिले अधिवक्ता ने सही तरीके पक्ष नहीं रखा, इसलिए उसे सजा हुई। डिवीजन बैंच ने इस मामले में अधिवक्ता अहादुल्ला उसमानी को कोर्ट मित्र के रूप में नियुक्त किया था। कोर्ट मित्र अहादुल्ला उसमानी ने एक घंटे के भीतर ही प्रकरण तैयार कर न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुये अवगत कराया कि, जिला सिंगरौली निवासी अपीलकर्त्ता देवमूरत विश्वकर्मा को हत्या के एक प्रकरण में सत्र न्यायालय ने 6 नवम्बर 2009 को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था, जिसकी अपील हाईकोर्ट में की गर्ई, चूंकि अपीलकर्ता निर्धन था इसलिये उसकी ओर से सत्र न्यायालय मे पैरवी करने हेतु जिला विधिक सहायता से अधिवक्ता उपलब्ध कराया गया था।
Posted By: Ravindra Suhane
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