जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी, जबलपुर में परीक्षा घोटाले की जांच रिपोर्ट शुक्रवार को दो सीलबंद लिफाफों में पेश की गई। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति केके त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने रिपोर्ट को रिकार्ड पर ले लिया। मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई को निर्धारित की गई है। इस दिन रिपोर्ट कोर्ट के अवलोकन के लिए खोली जाएगी।
जबलपुर निवासी अंकिता अग्रवाल, अरविंद मिश्रा व अन्य की ओर से जनहित याचिकाएं दायर की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अमिताभ गुप्ता व आरएन तिवारी ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर छात्रों को पास कराने के लिए रिश्वत ली गई। पास कराने के लिए छात्रों से आनलाइन रकम ली गई। परीक्षा का काम देख रही माइंड लाजिस्टिक कंपनी ने भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की। परीक्षा कराने वाली कंपनी को ई-मेल भेजकर नंबर बढ़वाए गए। घोटाले को उजागर करने वाले अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया। मामले की विगत सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच कराने के निर्देश दिए थे। 14 अक्टूबर 2021 को रिटायर्ड जस्टिस केके त्रिवेदी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने जांच के बाद शुक्रवार को सीलबंद लिफाफे में यह रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। यूज्ड आयल
नियमों की अनदेखी पर नोटिस, कार्रवाई की मांग :
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर ने यूज्ड आयल नियमों की अनदेखी पर 60 संस्थानों को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा नोटिस जारी किए जाने के कदम की सराहना की है। डा.पीजी नाजपांडे ने मांग की है कि नोटिस की समय-सीमा समाप्त होने के साथ ही ठोस कार्रवाई अपेक्षित है।उन्होंने अवगत कराया कि पूर्व में मंच की ओर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट कराया गया था। जिसके बाद मंडल हरकत में आया और जबलपुर के 33, कटनी के 15, बालाघाट के तीन, मंडला के दो, नरसिंहपुर के चार, सिवनी के तीन सहित कुल 60 संस्थानों को नोटिस जारी कर दिए गए।
Posted By: Mukesh Vishwakarma
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