Jabalpur High Court News: जबलपुर। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट पन्ना द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को लिखे उस पत्र को निरस्त कर दिया जिसमें एक आपराधिक प्रकरण में जांच अधिकारी की भूमिका को कठघरे में रखा गया था। न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत है कि किसी के खिलाफ कार्रवाई करने के पहले उसे सुनवाई का पूरा मौका मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारी को सुनवाई का मौका दिए बिना सीधे पुलिस कप्तान को विभागीय जांच की कार्रवाई की अनुशंसा कर दी।याचिकाकर्ता पन्ना निवासी हिमांशुधर द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता भूपेंद्र शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता पन्ना के अमानगंज पुलिस थाने में एक आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले में जांच अधिकारी था। इस मामले में आरोपित बरी हो गए थे 27 अप्रैल, 2011 को फास्ट ट्रैक कोर्ट पन्ना ने इस मामले में सीधे पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कार्रवाई करने कहा। कोर्ट ने एसपी को लिखा था कि जांच अधिकारी आरोपित को बचाने के उद्देश्य से ठीक से जांच नहीं की गई। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में कोर्ट ने ऐसी कोई फाइंडिंग नहीं दी जिससे यह साबित हो कि जांच में लापरवाही बरती गई है। द्विवेदी ने 2014 में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट के उक्त पत्र को चुनौती देकर कहा कि उसे सुनवाई का मौका दिए बिना ही सीधे पत्र जारी कर दिया गया।
ऋण वसूली अधिकरण में 138 प्रकरण निराकृत, 155 करोड़ के अवार्ड पारित : ऋण वसूली अधिकरण, डीआरटी में पीठासीन अधिकारी रामनिवास पटेल, पूर्व जिला न्यायाधीश के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत लगी। इस दौरान कुल 138 प्रकरण परस्पर समझाइश से निराकृत हो गए। इस प्रक्रिया में 155 करोड़ रुपये के अवार्ड पारित हुए। मामले विभिन्न बैंक व वित्तीय संस्थाओं से संबंधित थे। डीआरटी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील खेरडीकर, सचिव विवेक श्रीवास्तव, जिला बार उपाध्यक्ष अखिलेश चौबे व डीआरटी बार के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों व अधिवक्ताओं की भूमिका सराहनीय रही। डीआरटी अनुभाग अधिकारी अनुज सिंह, अधिकरियों व कर्मचारियों, बैंक विधि अधिकारियों व नोडल अधिकारियों की मौजूदगी में समाधान हुआ।
Posted By: Shivpratap Singh