जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि ईओडब्ल्यू शिकायत पर ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करे। हाई कोर्ट की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी श्याम कुमार की ओर से अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि समिति प्रबंधक कौशल प्रसाद ने कोऑपरेटिव की विभिन्न समितियों में करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया है। जिसके खिलाफ 2012 में शिकायत की गई थी। जिसे ईओडब्ल्यू ने गंभीरता से नहीं लिया। लिहाजा, हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। एकलपीठ से संतोषजनक निर्णय न होने पर युगलपीठ में अपील की गई। अपील पर छह माह के भीतर ठोस कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा, अवमानना याचिका लगाई गई। अवमानना याचिका पर भी छह माह में ठोस कार्रवाई के निर्देश जारी हुए। लेकिन कुछ नहीं किया गया। इसलिए दोबारा अवमानना याचिका लगाई गई। इस बार कोर्ट ने मामले को बेहद गंभीरता से लेकर व्यवस्था दी कि हाई कोर्ट के ताजा आदेश की प्रति के साथ प्रस्तुत अभ्यावेदन पर ठोस कार्रवाई की जाए। हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर निर्देश सहित निराकरण कर दिया।
मृतक के नाम से लोन लेने के आरोपित को जमानत नहीं : प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट ने मृतक के नाम से लोन लेने के आरोपित की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि आरोपित जबलपुर निवासी जगदीश वर्मा ने दो अन्य आरोपितों जोगेश और मुरारी के साथ मिलकर फर्जी लोन निकाला। इसके लिए मृतक मोहन बनकर कूटरचना की गई। यह फर्जीवाड़ा बैंक सर्वेयर के साथ मिलकर अंजाम दिया गया। धोखाधड़ी के इस तरह के मामले में जमानत का लाभ दिए जाने से समाज में गलत संदेश जाएगा। इसलिए अर्जी खारिज कर दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कड़ाई बरती।
Posted By: Ravindra Suhane
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