रामकृष्ण परमहंस पांडेय, जबलपुर। रात दो बजे पुलिस थाने का घेराव करने गणमान्य नागरिक तो जाएंगे नहीं। आधी रात को हनुमानताल थाने का घेराव करने वालों में ज्यादातर अपराधी तत्व थे। इस भीड़ में वे अपराधी भी नजर आए जिनका पूर्व में जिला बदर किया जा चुका है। नेताजी की जयकार करने वालों में अस्सू, जीतू जैसे अपराधी तत्व शामिल थे। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले तथा सरकारी जमीन कब्जा कर भवन तानने वाले एक पार्षद ने घेराव का षडयंत्र रचा था। इस पार्षद का भाई तो और जहरीला निकला। सरकार ने पानी की टंकी बनवाई थी। परंतु उसके भाई ने टंकी पर एक राजनीतिक दल का ठप्पा लगा दिया। इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डाला कि जिन लोगों को उसकी पार्टी से दिक्कत है वे टंकी का पानी उसकी पार्टी के लोगों का....समझकर पीएं। कुल मिलाकर ऐसे अपराधियों से गलबहियां कर नेताजी राजनीति करेंगे तो बंटाढार होना तय है।
एक और दो स्टार वालों का ‘मनी प्रेम’ :
पुलिस थानों में एक और दो स्टार वालों का ‘मनी प्रेम’ जाहिर होने लगा है। इस मनी प्रेम की चर्चा खूब हो रही है। पुलिस के कुछ जवान मनी प्रेम पर चर्चा कर रहे थे। एक जवान ने कहा कि दो थानों के प्रभारी पद से दो स्टार वालों को इसी कारण हटना पड़ा। उपनगरीय क्षेत्र के एक थाने में एक स्टार वाले ने दो पेटी न मिलने पर आबकारी एक्ट की तगड़ी कार्रवाई कर दी। तभी क्राइम ब्रांच का एक जवान तपाक से बोला। मनी प्रेम कहां नहीं है। एक और दो स्टार के नीचे व थोड़ा ऊपर भी झांक लिया करो। क्राइम ब्रांच के कुछ जवानों ने तो जुआ सट्टा को कमाई का जरिया बना लिया है। हाल ही में वे 50 हजार रुपये गपा लिए थे। कप्तान साहब को भनक लग गई जिसके बाद नौकरी बचाने के लिए रुपये लौटाने पड़े। हालांकि इसकी भरपाई करने के लिए जवानों ने नए अड्डे तलाश लिए हैं।
मेडिकल में छोड़े दलाल, हो रहे मालामालः
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में दलालों ने डेरा जमा लिया है। ये दलाल कुछ निजी अस्पतालों के लिए काम करते हैं। मरीजों को मेडिकल से निकालकर निजी अस्पताल में पहुंचाना उनका मकसद रहता है। जिसके बदले उन्हें अच्छा खासा कमीशन मिलता है। इन दिनों दलालों की आंखें उन मरीजों पर टिकी हैं जिनका इस्तेमाल कर दुर्घटना बीमा का खेला किया जा सके। दलाल मरीजों को मेडिकल की व्यवस्थाओं को लेकर भयभीत करते हैं। जिसके बाद निजी अस्पताल में मुफ्त उपचार व एकमुश्त अच्छी खासी नकद राशि देने का आश्वासन देते हैं। किस थाने में कथित दुर्घटना की फर्जी एफआइआर कराई जाएगी, किस गाड़ी से दुर्घटना बताई जाएगी, केस कौन लड़ेगा, उपचार/आपरेशन कौन करेगा यह जानकारी भी उन्हें दी जाती है। उखरी से लेकर कटंगी मार्ग तक के कुछ निजी अस्पतालों में यही गोरखधंधा चल रहा है।
कोमल हाथों में फंस तो नहीं गए साहबः
अध्यापन कार्य से जिनका दूर-दूर तक लेना देना नहीं है उनकी नियुक्ति कर दी गई। घटना मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाेर्ड आफ स्टडी से जुड़ी है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि अयोग्य लोगों का चयन कर बोर्ड में सदस्य बना दिया गया है। शिकवा शिकायतों का दौर शुरू हुआ तो लोग पर्दे के पीछे की कहानी जानने के लिए उत्सुक हो गए। उत्सुकता के बीच कुछ खबरें छनकर सामने आईं। जिसकी चर्चा विश्वविद्यालय गलियारे में होने लगी। कानाफूंसी करने वालों ने कहा कि लगता है बड़े साहब कोमल हाथों में फंस गए हैं। बीमारी के बाद उन्हें मालिश का चस्का क्या लगा, उनकी कमजोरी का फायदा उठाया गया। योजनाबद्ध तरीके से उन्हें कोमल हाथों का सुख देकर मनमाना आदेश करा लिया गया। साहब को न उगलते बन रहा न निगलते। देखना यह है कि मामला कितना लंबा चलता है, क्योंकि शिकायत राजभवन तक जा पहुंची है।
Posted By: Jitendra Richhariya