Hello Doctor Naidunia : अनियंत्रित शुगर, ब्लडप्रेशर (बीपी) व दर्द निवारक दवाओं का सेवन किडनी को खराब कर रहा है। पेशाब कम होना व इसका रंग बदलना, पेशाब में खून आना, पेशाब के दौरान झाग बनना यानि प्रोटीन आना, किडनी में संक्रमण, किडनी में पथरी, आंखों के नीचे व पैरों में तथा शरीर में सूजन, जी मचलाना, घबराहट, सांस फूलना, शरीर में पानी भरना समेत कुछ अन्य लक्षण किडनी रोगों के हैं। किडनी यानि गुर्दे पीठ के निचले हिस्से के पास शरीर के दोनों ओर मौजूद रहते हैं। जो रक्त को शुद्ध करने तथा शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होते हैं। उक्त बातें किडनी रोग विशेषज्ञ डा. आनंद बहरानी ने नईदुनिया के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डाक्टर में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए कहीं।

फोन पर चर्चा कर शंका का समाधान

जबलपुर सहित कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, बालाघाट, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, मंडला, डिंडौरी आदि जिलों के पाठकों ने डा. बहरानी से फोन पर चर्चा कर किडनी रोगों को लेकर शंका का समाधान किया। डा. बहरानी ने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव किडनी रोगों को बढ़ावा दे रहा है। किडनी रोग से बचाव के लिए तमाम उपायों के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। किडनी शरीर के लिए फिल्टर की तरह काम करती है। हानिकारण पदार्थाें को शरीर से बाहर निकालने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। पानी की कमी से हानिकारण तत्व बाहर नहीं निकल पाते हैं जिससे किडनी को काम करने में परेशानी होती है।

पर्याप्त पानी और भरपूर नींद

पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और भरपूर नींद लें, किडनी रोगों को खतरा कम होगा। किसी भी आशंका पर सीरम क्रिएटनिन, किडनी फंक्शन की जांच कराते हुए किडनी की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोग सेहतमंद रहने के लिए व्यायाम करें, संतुलित आहार का सेवन करें, शुगर, बीपी, थायराइड आदि हो तो नियमित रूप से दवाओं को सेवन करते हुए इन्हें नियंत्रित रखें और किडनी की जांच कराते रहें।

50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज शुगर के

डा. बहरानी ने बताया कि किडनी रोगों से पीड़ित 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज अनियंत्रित शुगर वाले रहते हैं। उसके बाद ब्लडप्रेशर व दर्द की दवाओं का ज्यादा सेवन करने वाले होते हैं। इसलिए खानपान पर नियंत्रण, समय पर दवाओं का सेवन व नियमित व्यायाम से शुगर को नियंत्रित रखते हुए किडनी रोगों के खतरे से बचना चाहिए। वर्तमान में शारीरिक श्रम का अभाव देखा जा रहा है। फास्ट फूड का चलन बढ़ गया है। जिसके कारण मोटापा का खतरा बढ़ रहा है। मोटापा भी किडनी रोगों की वजह है। वहीं तमाम लोग चिकित्सीय परामर्श के बगैर दर्द निवारक दवाओं का सेवन कर किडनी को खराब करते हैं। अनियंत्रित शुगर वाले मरीजों को समय-समय पर किडनी की जांच कराते रहना चाहिए। किडनी ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करती है। लिहाजा यदि ब्लडप्रेशर अनियंत्रित हुआ तो किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

एक्यूट और क्रानिक किडनी फेल्योर

डा. बहरानी ने बताया कि किडनी की बीमारियां दो तरह की होती हैं। एक्यूट और क्रानिक किडनी फेल्योर। कम समय के लिए किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होना एक्यूट किडनी फेल्योर कहा जाता है। जिसमें ब्लडप्रेशर बढ़ना, भूख में कमी, जी मचलाना, उल्टी होना, आंखों के नीचे पैर व शरीर में सूजन, पेशाब कम होना या बंद हो जाना जैसे लक्षण सामने आते हैं। कुछ दिनों के उपचार से किडनी पूर्ववत हो जाती है। वहीं क्रानिक किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की अशुद्धियों को फिल्टर करने की क्षमता खत्म हो जाती है। इस दशा मेंं डायलिसिस या किडनी प्रत्यरोपण करना पड़ता है।

ऐसा हो तो सतर्क रहें

किसी अन्य बीमारी के कारण लगातार दवाओं का सेवन करने वालों को सतर्क रहना चाहिए। दवाओं के नियमित सेवन से किडनी खराब होने का खतरा रहता है। इसलिए यदि किसी बीमारी का नियमित उपचार चल रहा हो तो समय समय पर किडनी की जांच अवश्य कराएं। परिवार में किसी को किडनी की बीमारी है तब भी सतर्क रहना चाहिए। भूख में अचानक कमी, वजन घटना, कमजोरी समेत अन्य लक्षण प्रकट होने पर किडनी के प्रति गंभीरता बरतनी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना, धूम्रपान व तंबाकू का सेवन करना, ज्यादा समय तब पेशाब रोकना भी किडनी रोगों की वजह है। यदि किडनी में स्टोन है तो भी सतर्क रहना चाहिए। उपचार के अभाव में स्टोन के कारण प्रभावित किडनी खराब हो सकती हैं। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने पर भी किडनी को खतरा होता है। यदि प्रोस्टेट की समस्या दवाओं से ठीक न हो रही हो आपरेशन करा लेना चाहिए। इसी तरह शुगर व बीपी बढ़ने पर किडनी के खराब होने का खतरा बढ़ता है।

सवाल-जवाब

सवाल-क्रानिक किडनी फेल्योर की स्थिति में गर्भधारण में क्या समस्या हो सकती है।

जवाब-इस स्थिति में समस्या बढ़ती है। महिला व गर्भस्थ शिशु दोनों पर असर पड़ता है। किडनी की समस्या और बढ़ सकती है। फिर भी यदि गर्भधारण हो गया है तो किडनी रोग व स्त्री रोग विशेषज्ञ की सतत निगरानी होनी चाहिए।

सवाल-मैं 75 वर्ष का हूं, मुझे सांस की बीमारी है, इनहेलर का उपयोग करता हूं, इससे किडनी को खतरा तो नहीं है।

जवाब-सांस की बीमारी से किडनी रोगों का खतरा नहीं है। परंतु बढ़ती उम्र को देखते हुए समय समय पर किडनी की जांच कराते रहना चाहिए।

सवाल-किडनी में पथरी के शारीरिक लक्षण क्या हैं।

जवाब-किडनी में पथरी की समस्या को दो तरह से समझा जा सकता है। एक रुकावट सहित दूसरा रुकावट रहित। छोटे आकार की पथरी को दवाओं की सहायता से भी निकाला जा सकता है। परंतु बड़े आकार की पथरी मार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं। पेट दर्द, पेशाब में संक्रमण, पेट व पीठ में दर्द, पेशाब में जलन आदि समस्या सामने आती है।

सवाल-क्रानिक किडनी फेल्योर से बचाव कैसे कर सकते हैं।

जवाब-खानपान संतुलित रखें, शुगर व बीपी नियंत्रित रखें। नमक कम मात्रा में उपयोग करें। पेन किलर को नजरअंदाज करें। किडनी संबंधी बीमारी के कोई भी लक्षण प्रकट हों तो विशेषज्ञ से परामर्श लें। समय समय पर किडनी की जांच कराएं।

सवाल-पांच वर्ष पूर्व मेरे दादाजी का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। वर्तमान में उनका मुंह सूखता है, कोई गंभीर समस्या तो नहीं।

जवाब-किडनी ट्रांसप्लांट के बाद उपयोगी दवाएं शु्गर का स्तर बढ़ा सकती हैं। वर्तमान में गर्मी के कारण शरीर में पानी कमी होने लगती है। डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है। इसलिए शुगर नियंत्रित रखते हुए उन्हें डिहाइड्रेशन से बचाएं। विशेषज्ञ से परामर्श लें।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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