जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नगरीय निकाय चुनाव के समर में बागियों को रास्ते पर लाने के लिए अनेक कांग्रेसी दिग्गज प्रयास करते रहे। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा था कि अंतिम दिन तक सारे बागी नाम वापस ले लेंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि अनेक बड़े बागियों ने नेताओं के दबाव की वजह से नाम वापस ले लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं जो मैदान से नहीं हटे। वो कांग्रेस संगठन को कांटे की तरह चुभ रहे हैं।

नाम वापसी के अंतिम दिन शाबान मंसूरी, ताहिर अली जैसे अनेक बागियों ने फार्म वापस ले लिया। लेकिन पूर्व पार्षद राजेश यादव (वार्ड नं. 68) सहित सोनू दुबे (वार्ड नं. 69), चेरीताल वार्ड से दीपा मदन लारिया, वार्ड नं.-17 से कांग्रेस की पिछड़ा मोर्चा की जिला अध्यक्ष रहीं सुशीला कनौजिया मैदान में अभी भी मड़ी हुई हैं। इनके अलावा कांग्रेस की ही आशा अमित नामदेव (वार्ड नं.16), बहार अहमद अंसारी (वार्ड नं.21), ज्योत्सना कोल(वार्ड नं. 5), कल्लू तिवारी (वार्ड नं. 15), प्रवीण कुशवाहा (वार्ड नं. 13), तुलाराम चौधरी (वार्ड नं. 11), राकेश खतारिया (वार्ड नं. 25) और ज्योति चौधरी (वार्ड नं. 66) चुनाव मैदान में हैं। ये सभी कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता रहे हैं। इन दमदार बागियों के अलावा कई और भी ऐसे प्रत्याशी हैं जो कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, और टिकट की आस लगाकर बैठे रहे।

बैठकों का दौर जारी

दो दिनों से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के घर पर कांग्रेस नेताओं की बैठकों का दौर जारी रहा। यहां मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह भी कांग्रेस नेता बैठे और बागियों को बैठाने की रणनीति पर चर्चा की गई। इसके बाद बुधवार की रात उत्तर-मध्य विधानसभा के वार्डों को रणनीति बनाने विनय सक्सेना के कार्यालय में एक बैठक हुई। अब कांग्रेस में उन वार्डों को लेकर मंथन शुरू हो गया है, जहां से बागियों को मैदान से नहीं हटवाया जा सका।

Posted By: Mukesh Vishwakarma

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