Madhya Pradesh High Court: जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हाई कोर्ट ने पीएससी-2019 प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम व पीएससी-2021 प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी होने के साथ आदेश सुरक्षित कर लिया।

प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायामूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता भोपाल निवासी ओमप्रकाश पचौरी सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, उदय कुमार साहू, रूप सिंह मरावी व अंजनी कुमार कबीर ने पक्ष रखा।

उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने सात अप्रैल, 2022 को पीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम जारी करने के निर्देश दिए थे। पीएससी व सरकार ने 10 अक्टूबर, 2022 को संशोधित परिणाम दो भागों में जारी किए।

सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र के अनुसार भाग-अ में 87 प्रतिशत अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। जबकि प्राविधिक भाग-ब में 13 प्रतिशत ओबीसी व 13 प्रतिशत अनारक्षित अभ्यर्थियों को चयनित किया गया है। बहस के दौरान दलील दी गई कि इस प्रकार कुल आरक्षण 100 प्रतिशत से ऊपर हो गया है।

20 अक्टूबर, 2022 को पीएससी 2021 के प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम भी इसी तरह घोषित किया गया है। मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा जारी उक्त परिणाम असंवैधानिक है व राज्य परीक्षा सेवा नियम-2015 के प्रविधानों के विपरीत है।

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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