Jabalpur News : जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड भोपाल की दसवीं और बारहवीं के परीक्षा-परिणाम घोषित किए जा चुके हैं। जिनने इस साल दसवीं-बारहवीं की परीक्षाएं दीं, उनमें से अनेक बच्चे असफल रहे या उनकी रिजल्ट उनकी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं रहा। इसका असर बच्चों की मन:स्थिति पर भी पड़ रहा है। ऐसे में अभिभावकों को धैर्य से काम लेने की आवश्यकता है। उन्हें चाहिए कि वो बच्चों का मनोबल बढ़ाएं। उनको समझाएं कि जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएं आती हैं, सभी में सफलता प्राप्त करना संभव नहीं होता है।

निराश न हो, आगे बढ़ने के रास्ते खुलते हैं

अभिभावक बच्चों को समझाएं कि जीवन में कोई भी परीक्षा सबसे बड़ी या अंतिम नहीं होती। कोई भी असफलता आत्मावलोकन के संदेश से ज्यादा कुछ नहीं होती। असफलता से ही सफलता का महत्व पता चलता है और आगे बढ़ने के रास्ते खुलते हैं। एक परीक्षा में फेल हुआ व्यक्ति भविष्य में उससे भी बड़ी परीक्षा को पास कर सकता है। ऐसे बहुत से उदाहरण समाज में मौजूद हैं। इन्हीं उदाहरणों को केंद्र में रखकर अभिभावक और बच्चे आने वाले कल की राह तय कर सकते हैं।

रिजल्ट पर बात करना ही बंद कर दें

अभिभावक बच्चों से उनके रिजल्ट पर बात करना ही बंद कर दें। अगर परिणाम बहुत अच्छा नहीं रहा हो तो बच्चों से रिजल्ट के बारे में बात ही न करें। अगर कोई चर्चा हो, तो भी केवल इस बिन्दु के आस-पास कि असफलता अंतिम पड़ाव नहीं है। संभव है कि आने वाले कल में कोई बड़ी सफलता आपका इंतजार कर रही हो। जीवन में अनेक परीक्षाएं होनी हैं, किसी एक परीक्षा की सफलता या असफलता किसी के भविष्य का अंतिम फैसला नहीं कर सकती।

बच्चों के लिए मार्गदर्शक बनें

जिन बच्चों ने दसवीं-बारहवीं की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है, उनके लिए भी अभिभावक गाइड या मार्गदर्शक का काम ही करें। उनपर अपने फैसलों का बोझ नहीं डालें। खासकर विषय चयन के मामले में या उच्च शिक्षा के लिए लसइन तय करने में। बच्चे पर डाक्टर, इंजिनियर, तहसीलदार, थानेदार बनने का सपना लादने की बजाय बच्चेे को तय करने दें कि वो क्या करे?

मनोविज्ञानियों का अभिमत

मनोविज्ञान एवं संदर्शन महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डा. प्रभा किरन का कहना है कि किशोरवय बच्चों का मन चंचल होता है, वो अत्यंत भावुक होते हैं। अनुकूल परिणाम नहीं आने से अधिकांश बच्चे निराशा का शिकार होते हैं। यह निराशा कब अवसाद में बदल जाती है, पता ही नहीं चलता। अवसाद नकारात्मकता के चलते लगातार गलत दिशा में जाने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में अभिभावकाें को चाहिए कि वे बच्चों को प्रोत्साहन प्रदान करें। अधिकांश समय उनके साथ गुजारें और उनको आने वाले कल की नई संभावनाओं के बारे में बताएं।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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