High Court Jabalpur : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।हाई कोर्ट ने मप्र विद्युत उत्पादन कर्मचारी संघ, रीवा के कर्ताधर्ता राजाराम गौतम की याचिका 10 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुये निरस्त कर दी। यह राशिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रीवा के कोष में जमा करने के निर्देश दिये गये हैं। न्यायमूर्ति आनंद पाठक की एकलपीठ ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि यह याचिका निहित स्वार्थ से प्रेरित परिलक्षित हुई है। संघ ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर हाई कोर्ट की शरण लेने की गुस्ताखी की है।

याचिका में कहा गया था कि 13 दिसंबर, 2022 को एडीशनल चीफ इंजीनियर (ट्रांसमिशन-मेन्टनेंस) ने एसीई का कार्यालय सिरमौर कालोनी से गुडगुडा स्थानांतरित कर दिया। दलील दी कि एसीई का मूल पद अधीक्षण यंत्री है। एसीई को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। वहीं शासन व विद्युत कंपनी की ओर से ललित जोगलेकर और अंशुमान स्वामी ने दलील दी कि कार्यालय शिफ्ट करने की प्रक्रिया से कर्मचारी संघ का कोई लेना-देना नहीं है। यह एक नीतिगत निर्णय है।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह अधिकारियों का निर्णय है और उन्हें ही पता है कि कार्यालय के लिए उचित स्थान कहां होना चाहिए। आफिस शिफ्ट करने के आदेश में कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की दलीलें मान ली जाती हैं तो इससे यह प्रदर्शित होगा कि अधिकारी इस तरह के नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। इस मत के साथ कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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