High Court Jabalpur : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।हाई कोर्ट ने राहतकारी आदेश के जरिये विधवा व उसके पुत्रों को उनके हक की जमीन लौटाने की व्यवस्था दी है। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने एसडीएम सिहोरा को निर्देश दिये हैं कि 90 दिन के भीतर आवेदिका के आवेदन पर सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर नियमानुसार आदेश पारित करें। एसडीएम का आदेश आने तक तहसीदार के उस आदेश पर रोक लगी रहेगी, जिसके जरिये जमीन अनावेदक के नाम कर दी गई है।

याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सरोज नामदेव, अंबर राज व शिवेन्द्र की ओर से अधिवक्ता सुशील मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्हाेंने दलील दी कि जानकी प्रसाद आवेदिका के जेठ जानकी प्रसाद ने कूटरचित तरीके से याचिकाकर्ता की जमीन अपने नाम करा ली है। जानकी प्रसाद ने सरोज व उसके पुत्रों का विश्वास जीत कर कोरे कागज पर यह कहकर हस्ताक्षर करवा लिए थे कि पैत्रक जमीन का बंटवारा कर रहे हैं। तहसीलदार ने 27 फरवरी 2017 को तीन खसरों की अलग-अलग जमीन जानकी प्रसाद के नाम कर दीं जिस पर याचिकाकर्ताओं का हक था। आवेदिका ने तहसीलदार के आदेश के विरुद्ध एसडीएम के समक्ष चुनौती दी, लेकिन 25 अगस्त 2018 को उसका आवेदन निरस्त हो गया। इसके बाद 14 मई, 2019 को तत्कालीन अपर आयुक्त छोटे सिंह ने भी यह कहकर आवेदन निरस्त कर दिया कि राजीनाम के आधार पर प्रस्तुत अर्जी पर उन्हें सुनवाई का अधिकार नहीं है। मामले पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने एसडीएम व अपर आयुक्त के आदेशों को निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि तहसीलदार के आदेश पर तब तक रोक रहेगी, जब तक एसडीएम अपना आदेश नहीं सुनाते।

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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