जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायधीश केएन सिंह की अदालत ने एक मामले में अनावेदक पिता को निर्देशित किया है वह अपनी बच्ची के वयस्क होने तक तीन हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण की राशि अदा करेंगे। अदालत ने उसकी पत्नि की ओर से चाही गई भरण पोषण की राशि के आवेदन को निरस्त कर दिया। अदालत ने उक्त निर्देश नेता यादव व उनकी पुत्री महक यादव की ओर से दायर मामले में दिये है। दायर मामले में नेहा की ओर से कहा गया था कि उनका विवाह हिन्दू रीति रिवाज से झांसी निवासी दिलीप यादव के साथ फरवरी 2014 को संपन्न हुआ था। आरोप है कि विवाह के बाद से पति दिलीप जो कि रेलवे में चतुर्थ श्रेणी के पद पर पदस्थ था, दहेज की मांग कर उसे प्रताड़ित करने लगा। जिससे वह वर्ष 2015 से अपने मायके जबलपुर में आकर रह रहीं है। सुनवाई दौरान पूरे मामले का अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया कि आवेदिका पत्नि स्वयं आय अर्जित कर रहीं है और पर्याप्त बिना कारण के पति से अलग रह रहीं है, जिस पर न्यायालय ने पत्नि की ओर से भरण पोषण के आवेदन को निरस्त कर दिया। वहीं पुत्री को वयस्क होने तक प्रतिमाह तीन हजार रुपये की भरण पोषण राशि माह की पांच तारीख तक उसके बैंक खाते में जमा करने के निर्देश अनावेदक दिलीप यादव को दिए हैं।

अधिवक्ता ने बैंक प्रबंधन को भेजा नोटिस

जबलपुर। शहर के जागृति नगर क्षेत्र में निवासरत महिला रिहाना बेगम ने अधिवक्ता नीतिराज शर्मा के माध्मय से यूनियन बैंक आफ इंडिया के प्रबंधन को लीगल नोटिस भेजा है। इसके जरिये मकान पर मनमाने तरीके से ताला लगाने के रवैये का विरोध किया गया है। साथ ही तालाबंदी के बाद ताला टूटने व भीतर से सात लाख रुपये से अधिक कीमत के आभूषण व नगद राशि चोरी होने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। यह राशि 15 दिन के भीतर भुगतान न किए जाने की सूरत में पुलिस में एफआइआर दर्ज कराने की चेतावनी दी है। अधिवक्ता शर्मा ने अवगत कराया कि बैंक लोन की किश्त जमा करने को लेकर उनकी पक्षकार सदैव ईमानदार रही। इसके बावजूद तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के कारण विवाद पैदा हो गया।

Posted By: Jitendra Richhariya

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