Jabalpur News : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। धनुष तोप भारतीय सेना की शान है। इसका निर्माण जीसीएफ जबलपुर में होता है। सेना की इस ताकत में जिस गति से वृद्धि की अपेक्षा है वैसी फिलहाल होती नहीं दिख रही है। अलबत्ता प्रबंधन की ओर से प्रयास जारी है कि यहां के उत्पादन की रफ्तार में तेजी आए और निर्माणी को मिला लक्ष्य हासिल किया जा सके। आंकड़ों की बात करें तो अब तक करीब 20 फीसदी उत्पादन लक्ष्य को ही हासिल किया जा सका है। इधर प्रबंधन से जुड़े जिम्मेदार आने वाले दिनों में काम की गति में तेजी आने की संभावना जता रहे हैं।

इस वित्तीय वर्ष के इन्डेंट (निर्माण-लक्ष्य) में गन कैरेज फैक्ट्री को लगभग 1800 करोड़ रुपये का उत्पादन लक्ष्य प्रदान किया गया था। उसमें से अब तक लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ का ही काम हो पाया है। श्रमिक संगठनों के अनुसार निर्माणी को भारतीय सेना से धनुष 45 कैलीबर तोपों का बड़ा आर्डर मिला था। निर्माणी को सत्र 2022-23 में 112 तोपों की सप्लाई करना थी। सत्र को समाप्त होने में दो महीने से भी कम का समय बचा है। लेकिन, अब तक करीब 24 तोपों की ही सेना को सप्लाई हो पाई है।

धनुष के अलावा भी काम

जीसीएफ के पास धनुष तोप के अलावा भी अनेक प्रकार के काम हैं। टैंकों में लगने वाली गन और फील्ड गन का भी उत्पादन यहीं होता है। इसी तरह से जो शस्त्र यहां से पूर्व में सप्लाई किए जा चुके हैं उनके कलपुर्जों का निर्माण भी फैक्ट्री में किया जाता है।

किए जा रहे यह प्रयास

प्रबंधन के जिम्मेदारों का कहना है कि प्रत्येक सत्र की अंतिम तिमाही में ही अप्रत्याशित गति से उत्पादन का काम होता है। इस दौरान प्रबंधन और कामगार- दोनों का प्रयास रहता है कि वो निर्माणी को मिले लक्ष्य को यथासंभव प्राप्त करा पाएं। इसी कड़ी में कच्चे माल की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में कराई जा चुकी है। काम में उपयोगी मशीनों का भी इंतजाम किया जा चुका है। इसी तरह से मानव श्रम का आवश्यक्ता के अनुरूप संबंधित अनुभागों में नियोजन किया जा चुका है। अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके अर्जित अवकाश दो महीने बाद समायोजित कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रबंधन ने ओवरटाइम के घंटों में भी वृद्धि कर दी गई है। इस वक्त प्रशासन के सभी आला अफसर डेली-रिपाेर्ट और आने वाले कल की आवश्यक्ता के ब्यौरे के साथ रोज बैठकें कर रहे हैं।

वर्जन-

किसी भी आयुध निर्माणी को समय पर पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल नहीं मिल पाने की वजह से काम की गति सभी जगह धीमी है। जीसीएफ में भी उत्पादन की रफ्तार बहुत कम होने की जानकारी है। जो व्यवस्थाएं अंतिम तिमाही में की जाती हैं अगर उनको और पहले कर लिया जाए तो तस्वीर अलग ही हो सकती है। -अरूण दुबे, सदस्य जेसीएम-2

निर्माणी का ट्रेंड रहा है कि अंतिम तिमाही में काम की गति अपने शीर्ष पर होती है। इस पीरियड में अप्रत्याशित परिणाम सामने आते हैं। पर्याप्त मात्रा में कच्चे माल का इंतजाम और जरूरत के अनुरूप श्रम शक्ति का नियोजन किया जा चुका है। उत्पादन को गति प्रदान करने हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। -राहुल चौधरी, डिप्टी जीएम-जीसीएफ

Posted By: Dheeraj Bajpaih

Mp
Mp
 
google News
google News