ब्रजेश शुक्ला, जबलपुर नईदुनिया। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का 75वां जन्मोत्सव शरद पूर्णिमा पर आज उनके अनुयायी देशभर में धूमधाम से मनाएंगे। आचार्यश्री ने भले ही देशभर में भ्रमण कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया हो लेकिन मध्य प्रदेश से उनका विशेष स्नेह रहा। आचार्यश्री ने जो शिक्षा व्यवस्था बनाई उससे आज मध्य प्रदेश में चार सौ से अधिक युवा विभिन्न प्रशासनिक पदों पर सेवाएं दे रहे हैं।
शिक्षा, प्रशासन और चिकित्सा की त्रिवेणी : आचार्यश्री की कृपा से शिक्षा, प्रशासन और चिकित्सा क्षेत्र में ऐसा काम किया गया जो जबलपुर को पहचान दिलाता है। यहां सबसे पहले 4 जुलाई 2006 को प्रतिभा स्थली की शुरुआत की गई। जिसमें छठवीं से बारहवीं तक की छात्राओं को आवासीय विद्यालय में शिक्षा दी जा रही है। खास बात यह है कि यहां वे आर्यिकाएं शिक्षा दे रही हैं जो अपने विषय की टापर हैं।
प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान : आचार्यश्री की प्रेरणा से ही जबलपुर में श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई। जिसमें प्रशासनिक सेवा के लिए विद्यार्थी तैयारी करते हैं। आज प्रदेश में चार सौ अधिक प्रशासनिक पदों पर यहां से निकले विद्यार्थी सेवा दे रहे हैं। इस संस्थान में देशभर के लोग आते हैं।
पूर्णायु पकड़ेगी नाड़ी : तिलवारा में ही लगभग सौ करोड़ से पूर्णायु अस्पताल बनाया गया है। जो आठ सौ बिस्तर का है। आचार्यश्री की मंशा के अनुसार यहां नाड़ी वैद्य की विधा से लोगों को जोड़ा जाएगा। भारतीय संस्कृति के जीवन का आधार नाड़ी देखकर उपचार करना रहा है। इसी विधा को जीवित रखने के लिए इस अस्पताल का निर्माण कराया गया है। जहां बिना मशीन के वैद्य नाड़ी देखकर बीमारी बता देते हैं।
चांद के समान शीतलता के भाव : चांद आसमान से जगत को शीतलता देकर रात के अंधकार को दूर कर रोशनी देता है। वहीं शरद पूर्णिमा के दिन इस धरा पर जन्मे विद्याधर से आचार्यश्री विद्यासागर महाराज बनने तक अपने ज्ञान, ध्यान और चिंतन से शीतलता और ज्ञान रूपी रोशनी से अनगिनत लोगों का जीवन संवार दिया। आचार्यश्री की जीवन शैली, काव्य और व्यवहार पर अभी तक 50 से ज्यादा पीएचडी हो चुकी हैं और 150 से ज्यादा लोग कर रहे हैं, जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल हैं। आचार्यश्री इस समय तिलवारा स्थित दयोदय संस्थान में चातुर्मास कर रहे हैं। उनके जन्मदिन पर विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।
Posted By: Brajesh Shukla