जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नागरिक उपभोक्ता मागदर्शक मंच, जबलपुर की ओर से पीएस फॉरेस्ट को एक लीगल नोटिस भेजा गया है। इसमें राज्य में हाथियों की सुरक्षा के समुचित इंतज़ाम न होने को लेकर चिंता जाहिर की गई है। साथ ही इस बात पर बल दिया गया है की दूसरे जंगलों से भटक कर मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ आये चालीस हाथियों की सुरक्षा अविलम्ब सुनिश्चित की जाए। लीगल नोटिस में कहा गया है कि भले ही मध्य प्रदेश हाथी रहवास वाला राज्य नहीं है किंतु अक्सर यहां ओडिशा और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के जंगलों से हाथी भटक कर चले आते हैं। लिहाजा, सुरक्षा के समुचित इंतजाम अति आवश्यक हैं। इसके अभाव में राह भूले हाथी शिकारियों व हाथी दांत के तस्करों के खतरे से घिर जाते हैं।
जबलपुर के समीप बरगी की ताजा घटना पर फोकस करते हुए मंच ने लीगल नोटिस में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल चेन्नई व नई दिल्ली द्वारा पूर्व में हाथियों की मौतों के मामलों में जारी आदेश-निर्देश की रोशनी में जबलपुर के पास बरगी में हाथी की मौत के सिलसिले में भी दोषी अधिकारियों की पहचान कर उनसे पर्यावरण जुर्माना वसूले जाने पर भी बल दिया है। प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग से 48 घंटे के भीतर कार्रवाई की मांग की गई है। ऐसा न किए जाने की सूरत में एनजीटी में जनहित याचिका दायर कर दी जाएगी।
लीगल नोटिस में कहा गया है कि तीन जून, 2020 को केरल में मुंह में पटाखा फूटने से हाथी की मौत के मामले को बेहद गंभीरता से लेकर एनजीटी, साउथ जोन, चेन्न्ई ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी। अपने आदेश में दोषी अधिकारियों के खिलाफ पर्यावरण जुर्माना लगाने के साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने देने के सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। रिपोर्ट पेश करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित की गई थी। एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली ने आसाम में हाथियों की मौत के मामले को गंभीरता से लिया था। इस मामले में साफ किया गया था कि पर्यावरण मुआवजा महज विभाग ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से भी वसूला जाए। इनमें वे अधिकारी शामिल हो, जिनकी पहचान लापरवाह के रूप में हो चुकी है।
Posted By: Ravindra Suhane
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