Bhagoria Dance Madhya Pradesh: झाबुआ (नईदुनिया प्रतिनिधि)। झाबुआ जिले के जनजातीय कलाकार भील, भगोरिया नृत्य की प्रस्तुतियां लगातार प्रदेश और देश के अनेक बड़े मंचों पर देते आ रहे हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन-2023 एवं बिजनेस समिट-2023 में झाबुआ की रंग आरोहण नाट्य संस्था के कलाकारों को प्रस्तुतियों के लिए आमंत्रित किया गया था। इनकी प्रस्तुति ने प्रवासी भारतीयों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति पर दुबई, अफ्रीका एवं जर्मनी के प्रवासी भारतीय भी झाबुआ के कलाकारों के साथ मांदल की थाप पर अपने आपको रोक थिरकने से रोक नहीं पाए और जमकर नाचे-झूमे। संस्था के मुख्य कलाकार शैलेंद्र मंडोड़ ने बताया कि झाबुआ की रंग आरोहण नाट्य संस्था के कलाकारों को अब अबू धाबी, अफ्रीका, जर्मनी, कतर में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया हैं।

2016 से दे रहे भगोरिया नृत्य की प्रस्तुति

यह बड़े ही हर्ष और गर्व की बात है कि झाबुआ का लोक नृत्य भगोरिया अब दूसरे देशों में भी अपने रंग बिखेरेगा। इससे पहले भी रंग आरोहण नाट्य संस्था झाबुआ के कलाकार वर्ष 2016 से लगातार प्रदेश और देश के कई शहरों में प्रस्तुतियां दे चुके हैं। इसमें मुख्य रूप से जनजातीय संग्रहालय भोपाल, दिल्ली के संगीत नाटक अकादमी, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्मुख श्योपुर जिले के कूनो में, महामहिम राष्ट्रपति के सम्मुख भोपाल सीएम हाउस में, संस्कृति विभाग भोपाल के आयोजन में मानपुर के भगोरिया उत्सव में, भगोरिया उत्सव बड़वानी में सीएम शिवराजसिंह चौहान के सामने, उपराष्ट्रपति के सम्मुख जबलपुर में, निर्जरनी महोत्सव आलीराजपुर में, कमल युवा खेल महोत्सव-2023 में हरदा के मंच पर, झारखंड के रांची जनजातीय लोककला उत्सव में, भोपाल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हेड आफिस के गणतंत्र दिवस-2023 समारोह में उक्त कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुतियों ने जमकर दाद बटोरने के साथ अतिथियों एवं दर्शकों की भी जमकर प्रशंसा मिली।

राष्ट्रीय मंचों पर कलाकारों को मिल रही ख्याति

जनजातीय नृत्य के साथ ही ये कलाकार नाटक और रामलीला का भी मंचन देश के अनेक मंचों पर दे चुके हैं। कला के क्षेत्र में रंग आरोहण नाट्य संस्था झाबुआ के कलाकार लगातार अपना नाम रोशन करते आ रहे हैं। संस्था के मुख्य कलाकार शैलेंद्र मंडोड़, ऋतिक भूरिया, ख्याति मंडोड़, रविन्द्र मंडोड़, रवि डामोर, भूरी खराड़ी, ईशा गरवाल, निशा, पिंकी पाल, अलकु वसुनिया, आशा डामोर, मंजुला डामोर, मितेश वाखल, महावीर परमार, कालू मेड़ा, शिवा गमोड़, रवि मेड़ा, अमन बबेरिया, सुनील मेड़ा, विनोद मेड़ा ऐसे कुल 100 जनजातीय कलाकार लगातार रंग आरोहण संस्था के साथ जुड़कर नाटक, रामलीला, पिथौरा पेंटिंग और लोकनृत्य की तैयारियां कर अपनी प्रस्तुति समय-समय पर देते रहते हैं और झाबुआ की जनजातीय कला को आने वाली पीढ़ी के लिए संभालने और संजोने का बीड़ा उठाए हुए हैं।

शिक्षा से जोड़ने का हो रहा प्रयास

संस्था के शैलेंद्र मंडोड़ ने बताया कि हम लगातार जनजातीय कला, सांस्कृतिक पर्यटन एवं लोककला के संवर्धन के साथ ही अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं लोक की गरिमा को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। रंग मंच के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा से भी जोड़ने का प्रयास सतत चल रहा है। बच्चों को रंगमंच से जोड़कर शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उनका कहना है कि रंगमंच से जुड़कर कलाकार अपनी प्रतिभा को सतत निखार रहे हैं। पिथौरा पेंटिंग,भगोरिया नृत्य, नाटक और रामलीला से जब कोई बच्चा जुड़ जाता है तो वह असामाजिक चीजों से बच जाता है। वह अपने व्यक्तित्व को अच्छे से विकसित कर पाता है। रंगमंच के माध्यम से जिले के जनजातीय समाज की युवा पीढ़ी एवं बच्चों को संस्कृति, सांस्कृतिक एवं परंपरा के दृष्टिगत उचित प्लेटफार्म देने का प्रयास संस्था के माध्यम से भविष्य में भी सतत किया जाता रहेगा।

Posted By: Nai Dunia News Network

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