Khandwa news: खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिस तरह से क्या बोलना, कब बोलना, कैसे बोलना, क्यों बोलना भी कला है। वैसे ही बीत गई बातों को भूलना भी बहुत बड़ी कला है। मनुष्य, अपने जीवन में प्रत्येक पल कई तरह की अच्छी-बुरी, छोटी-बड़ी घटनाओं का सामना करता है, लेकिन यह विडंबना है कि वह अच्छी, शिक्षाप्रद व काम की बातों को भूल जाता है और एक-दूसरे के प्रति किए गए द्वेष, क्रोध, अपमान, हिंसा, अपशब्द को याद रखता है। इसके बारे में सोच-सोच कर वह अपना वर्तमान भी दूषित कर लेता है। इसलिए हमें बुराइयों को भूल जाने की आदत बनानी चाहिए। तभी हम सुखी व शांतिमय जीवन जी सकते हैं।
क्षुल्लिका विस्मिताश्री माताजी ने दिया प्रवचन
शीतकालीन वाचना के लिए शहर में उपस्थित क्षुल्लिका विस्मिताश्री माताजी ने यह उद्गार प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। माताजी ने कहा कि हमें कष्ट, संक्लेषता, दुर्भावना के दिनों को भुलाकर आत्म शुद्धि, वैराग्य, संयम, धर्म ध्यान, संत समागम की बातों व अनुभव को याद रखना चाहिए। जो कि सदा के लिये हमारे साथ रहेगा। समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि माताजी ससंघ द्वारा प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम से धर्म के साथ पारिवारिक नैतिक संस्कार, सामाजिक कर्तव्य, संतुलित जीवन शैली, शुद्ध खान पान आदि के बारे में सिखाया जा रहा है। चातुर्मास व सर्वतोभद्र मंडल विधान की सानंद संपन्नता के साथ पहली बार खंडवा को किसी संत की शीतकालीन वाचना का अवसर भी मिल रहा है। माताजी ससंघ लगभग 45 दिन तक खंडवा में रुककर आत्म साधना एवम धर्म प्रभावना करेंगी।
कराई गई शिखरजी की भाव वंदना
सकल दिगंबर जैन मुनि सेवा ट्रस्ट के संरक्षक दिलीप पहाड़िया ने बताया कि माताजी के सानिध्य में गुरुवार शाम को 6ः45 बजे से ध्यान के माध्यम से सिद्धक्षेत्र शिखरजी की भाव वंदना कराई गई। इसमें माताजी के श्रीमुख से क्षेत्र पर स्थित सभी टोंको पर विराजमान तीर्थंकरों के चरण चिन्हों, प्रतिमाओं, जल मंदिर, भाता घर, शीतल नाला के बारे में बताया गया। उपस्थित साधर्मियों ने घासपुरा स्थित जिनालय में स्थापित शिखरजी की रचना के समक्ष बैठकर बंद आंखों से ध्यान लगाकर पूरे क्षेत्र के भाव पूर्वक दर्शन किए। आयोजन में सौरभ जैन, मृणाल हुमड़ व प्रकाशचंद जैन ने मंगलाचरण एवं संचालन अविनाश जैन ने किया। माताजी ससंघ की आहारचर्या का अवसर रेखा संतोष छाबड़ा व छाया सत्येंद्र जैन परिवार को मिला।
Posted By: Nai Dunia News Network
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